जब कोई मन खोले..
और तुम कुरेदने लगो,
तब कोई क्यूँ खोलेगा?
तुम्हारे सामने,
अपना मन दूसरी बार..!!
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पलकें बोल रहीं हैं...
लफ्ज़ टपक रहे हैं....
दहलीज़ लांघ रहे हैं.....
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खामोशी भी पढ़ी जा सकती
ग़र भावों की कोई भाषा होती..!!
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देख कर जीना है
या जी कर देखना है...
स्याही गर्म है
और कलम को रेंगना है...
आस को सींचना है
निराशा को बेचना है...
लफ़्ज़ों की पीड़ा को
कविता में उकेरना है...
कुछ यूँ कुछ भावों को
नदी में डुबोना है...
कि टुकड़ों में मरना है
और हिस्सों में जीना है....!!
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भाव....
व्यक्त किए जाने के लिए नहीं बने,
......समझे जाने के लिए बने हैं..!!-
संयोग
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योजना और इच्छाएँ,
ज्वार सी भावनाएँ...
ये सबके मन में उठती हैं,
मंजिल पर भी नहीं रूकती हैं...
सब अपनी योजनाएं बनाते हैं,
योजनाओं से जिंदगी चलाते हैं...
सबसे बेहतर होता है संयोग,
हमारी, तुम्हारी या किसी और की नहीं,
खुदा की योजना होता है संयोग,
खुदा की योजना होता है संयोग...!!
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वक्त भले ही पुराना हो,
नयापन विचारों में हो तो...
कहानी खूबसूरत हो ही जाती है,
किस्से चाहे हिस्सों में हो,
पूर्णता ख्यालों में हो तो...
जिंदगी मेहरबां हो ही जाती है!!-
मैं,
सिर्फ मैं नहीं,
मैं और मेरा मन दो हैं,
कभी मन जीतता है,
कभी मैं,
परन्तु,
संघर्ष निरंतर चलता है !!-
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जिसको जैसा पसंद आया,
उसने वैसा ही लिखा..!
:
और
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जिसको जैसा पसंद आया
उसने वैसा ही पढा..!!
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ख्वाहिशें दफ़न हैं यहाँ,
उम्मीद ख्वाबों में पलती है,
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यूँ किस्सों में मशगूल जिंदगी,
मुझे हिस्सों में मिलती है....!!
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वो बातें,
जो अपना मन हल्का करने के लिए,
बता दी जाती हैं,
किसी दूसरे को,
ताउम्र बोझ बन जाती हैं,
दूसरे के मन पर...!!
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