MK The story Teller   (Mk the story teller)
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शब्द जो किसी को कभी कहे नहीं जा सकते वो लिखे जाते हैं।।
Joined 20 April 2018


शब्द जो किसी को कभी कहे नहीं जा सकते वो लिखे जाते हैं।।
Joined 20 April 2018
19 MAR AT 0:25

दफ़न रिश्तों की कई गहरीं कब्रें
मेरे दिल के किसी अनजान कोने में
जिसके बिना बेवजूद थे हम,
एक पल भी ना लगा उन्हें खोने में

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3 NOV 2024 AT 21:28

कस के गले लगा लेता
गर जानता आख़िरी मुलाकात है
कुछ समय और बिता लेता
गर जानता यह आखिरी बात है
तेरी बाहों के घेरे में ढूंढ लेता मैं उम्र भर का सुकून
गर जानता इस के बाद खत्म कायनात है।

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3 NOV 2024 AT 21:23

कुछ बच सकता था हमारे तुम्हारे दरमियां
गर कर देते जो मन में था बेबाक बयां
कितनी दूर निकल गए हम देखते ही देखते
जब से अलग अलग सफ़र को है चुना

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6 SEP 2024 AT 22:25

आज ऐसा हुआ कि मोह पाश त्याग के
कड़ियां तोड़ के कुछ छोड़ने का मन हुआ

फैसले का अलगाव, जबरदस्ती के जुड़ाव से
कहीं बेहतर है ।।

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29 AUG 2024 AT 4:40

और उसने अपने उस नासूर बन चुके जख्म को चूमा
आसमान की और देखा और एक आह भरी
सब कुछ बंद आंखों में घूम रहा था
कैसे उसने गलत फैसलों से अपना वो सब कुछ खो दिया
जिसके बिना जीना उसके बस की बात नहीं थी ।
और उस से भी मुश्किल है ..
उसी शख्स को उदास देखना, जिसको उसकी खुशी के लिए जाने दिया था ..
उफ.. सजाए मौत कहां गले में डाली रस्सियों तक सीमित है।

मनीष कुमार

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24 AUG 2024 AT 2:02

तो मेरे लाख
धकेलने पे भी
नहीं जाती
मुझे लड़ती, झगड़ा करती,
पर पीछा नहीं छोड़ती

क्योंकि तुम्हे पता था
तुम्हारे बाद मेरे पास
जीने को कुछ बाकी नहीं रहेगा।

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24 AUG 2024 AT 2:00

बहुत से आंसू
बहुत सी चुभने वाली बातें
और बहुत से ताने
छुपाए बैठा है एक शख्स
इस खामोशी के पीछे ।।

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21 AUG 2024 AT 21:03

जब तुम्हे दिख रहा है
कि कोई अपना नहीं है
और तुम्हे निकल जाना चाहिए
खुद की ही खोज में
किसी की परवाह किए बग़ैर
फिर चाहे तुम्हें कितना भी सफ़र करना पड़े

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18 JUN 2023 AT 7:31

शब्दों की जद्दोजहद
और यह लिखने की क़ुव्वत
चाक दिल के साथ जीना
और अकेलेपन से मोहब्बत….

किसी शायर को कभी आज़मा के देख लेना
दिल्लगी नहीं सच्चा दिल लगा के देख लेना
तुम्हारे हर ज़ख़्म की मरहम बन जाएगा वो
ग़र यक़ीं हो तो एक बार हाथ बढ़ा के देख लेना

मनीष 💔

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17 JUN 2023 AT 20:36

थोड़ा अज़ीब नहीं हो रहा ज़िंदगी तेरे साथ?
वक़्त और हालात से तेरी कभी बनती नहीं
और नाराज़गियाँ तेरा पीछा नहीं छोड़ती …
यह रिश्ते तुझपे नज़र रखते नहीं थकते
और मुस्कुराहट आजकल नज़रें मिलाती नहीं …
गिले शिकवे जब से तेरे आस पास रहने लगे हैं
क़िस्मत दरवाज़े बंद करके रूठ चुकी लगती है..
थोड़ा अज़ीब नहीं हो रहा ज़िंदगी तेरे साथ?

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