आज हमेशा कल से बेहतर ही होगा !
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लग रही थीं रोटियां आखिर थे हज़रत इक नवाब
भूख से मरते तो औरों पर नहीं मरते जनाब
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निकाल लाया हूँ पिंजरे से एक परिंदा ,
परिंदे के दिल से पिंजरा कैसे निकालूं ?
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तुम अपने अस्तित्व में प्रकाश ला सकते हो। और यह तुरंत उपलब्ध है, इसमें कोई कठिनाई नहीं है। क्या तुमने कभी साँप को अपनी पुरानी केंचुली से फिसलते हुए देखा है? — बस वैसा ही है। तुम बस उसमें से फिसल जाओ: क्षमा करो और भूल जाओ।
अपने माता-पिता से क्रोधित मत होओ; वे स्वयं ही पीड़ित थे। उनके लिए करुणा अनुभव करो।
समाज से क्रोधित मत होओ, वह और कुछ कर भी नहीं सकता था। लेकिन एक चीज़ संभव है: तुम अभी उसी क्षण उससे बाहर फिसल सकते हो।
खुश रहना शुरू करो: इसी क्षण से। सब कुछ उपलब्ध है — बस एक गहरी दृष्टिकोण की बदलाहट चाहिए: कि अब से तुम सुख को पुण्य मानोगे और दुःख को पाप।"
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जितना ज़्यादा तुम उस इंसान से प्यार पाने के लिए लड़ते हो जो तुम्हें प्यार नहीं कर सकता, उतना ही तुम उन लोगों से वक्त छीन रहे हो - जो कर सकते हैं और करेंगे।
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सीम कि चाँपि सकइ कोउ तासू।
बड़ रखवार रमापति जासू॥
भगवान जिसके बड़े रक्षक हों, भला, उसकी सीमा (मर्यादा) को कोई दबा सकता है?
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संसार में बिना किसी समस्या या तनाव के जीवन जीने की न सोचे बल्कि तनाव को संभालने और समस्या को हल करने वाले के रूप में खुद को विकसित करें-