प्रेम के दीप जलाते हैं
जीवन सफल बनाते हैं।
सौम्य सरल हो सब प्राणी,
क्षमा धर्म अपनाते हैं।-
चंद्रमा सा है,आपके मन का प्रेम,
उतना ही दृश्यमान,
जितना हम देखना चाहें प्रकाशमान।
मन से देखें तो पायेगें,
अप्रकाशित ही सही पर हमेशा पूर्ण होता है।-
तुझसे यही है कहना,
हमें अपना बना लो तुम,
हम मचल ना जायें,
सनम हमें संभालो तुम।-
क्षमा नींव है धर्म की, क्षमा पुण्य आधार।
क्षमा बैर को रोकता, क्षमा बढ़ाता प्यार।
मन उपवन में प्रथम पुहुप, क्षमा अगर हो जाए,
कहे चपल मन नर वही, निश्चय से तिर जावे।-
मेरे लिए आपकी दी हुई शिक्षा अनमोल खजाना है
आपके सिखाये हर पाठ से ही जीवन को सजाना है।-
तिल तुष मात्र परिग्रह भी, नरक गति में ले जाए।
मुनि व्रत को धारण करे, जिससे अकिंचन हो जाएं।
सभी जीव नैसर्गिक रूप से सुंदर, पूर्ण और अकेले ही होते हैं-
फिजा में महकती शाम हो तुम,
प्यार का छलकता जाम हो तुम।
सीने में छुपाए फिरते हैं तुम्हें,
मेरी जिंदगी का दूसरा नाम हो तुम।-