कितनी हसीन हैं,
वो महजबीन हैं,
उफ़ क्या नखरे उसके,
आय हाय कितना इतराती हैं!
करवट तो ऐसे बदलती हैं,
के जैसे बदले दुनिया;
वाह क्या मुस्कुराती हैं,
लाजवाब शरमाती हैं।।
पर कमबख्त, बेवफा हैं।।
स्वागत हैं मोक्ष के रास्ते पर आपका,
वह माया हैं, ऐसे ही फसाती हैं।।
परमात्मा की बेहतरीन रचना हैं,
मायाजाल बिछाती हैं।
अगर आप भटकना चाहते हो,
तो आपका हाथ बटाती हैं।।
मुस्कुराती हैं।।
वह माया हैं, ऐसे ही फसाती हैं।।-
हर सुबह प्यारी लगे,
हम्म्म...
सभी से हम बेखबर।
शूलो के रंग, रंगीन,
हम्म्म...
लगने लगे हैं सभी।।
सुलझने लगी हैं पहेलियां,
अब ना चिढ़ाती बदलियां, हां।
यूं ना छाया मौन यहां,
तुझको पाया, पाया सारा जहां, हां।।
चमके हैं नैना,
मोहे हैं चैना,
क्या हालत हे मेरी,
मैं ऐसे कहूं:
तेरे आने से,
तेरे आने से,
मैं पूरा हो गया।।-
सद्गुरु नहीं, परमात्मा मिल गया।
अंतर्जयोत क्या जली, सारा अहंकार पिघल गया।।-
अभी तो बस शुरुआत हैं।
आनेवाला समय और भी खराब हैं।
अभी तो चित्त बस विचलित हुआ हैं।
निकट भविष्य में, चित्त को भ्रमित करने की;
माया की चाल हैं।।
सकारात्मक सामूहिकता में रहना होगा,
सही घाट को चुनना होगा।
समर्पण को किसने समझा हैं?
ना गुरुदेव ने कभी बुद्धि से समझाया,
ना हमने कभी बुद्धि से समझा हैं!!
यह तो अनुभव हैं परमात्मा का,
जो गुरुकृपा में घटित हुवा हैं।
अनुभूति ही सत्य-सनातन हैं।
जिसने आजतक जोड़ के रखा हैं।।
भटक रहे हैं आज भी,
जिसने समाधान को नहीं पाया हैं।
सिखा रहे सबक गुरुदेव को,
प्रभु यह आप की कैसी माया हैं।।
भूल गए हम उसकी कृपा को,
क्या इतना विकट समय आया हैं??
सकारात्मक सामूहिकता में रहना होगा,
सही घाट को चुनना होगा।
मैं हूं गुरुदेव का संपूर्ण,
मैंने गुरुदेव में परमात्मा को पाया हैं।।-
घर जाना किसको अच्छा नहीं लगता!!!
मुझे भी मेरे घर जाना हैं।।
परमात्मा में सामना हैं।।
मेरे गुरुदेव ने,
मेरी माऊली ने तो मेरा हाथ मजबूती से पकड़ा ही था।।
अब मैंने भी मेरी मां का हाथ मजबूती से पकड़ लिया हैं।।-