सुना है शाम आई है शमा की याद लाई है!
हां मैं लौट आऊंगी ,कसम उसने उठाई है|
कहा बरसात लाएगी मेरे संग भीग जाएगी!
न तो स्वयं ही आई, न बरसात लाई है|
परिंदे लौट आये हैं बढ़ रहे शाम के साये!
द्वार भी खोल आये हम,काश इस राह से वो आये|
शाम वो याद है अब भी, वो दिल मे जब समाई थी!
मेघ ऐसे ही थे छाये, कुछ बारिश भी आई थी|
शाम ये फिर से आ करके, शाम की याद लाई है!
हसीं वो शाम थी ऐसी,कभी न भूल पाई है|
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