कुछ भी उतना बुरा या अच्छा नहीं होता जितना जान पड़ता है।
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ना कोई इतना बुरा,
ना कोई इतना भला....
सच इतना सा है कि,
सच अभी न, पता चला...-
कौन सी टीम जीत सकती है?
से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि -
कौन सी टीम जीतना चाहती है?-
सामने जिनके,आप खुलकर, रो नहीं सकते,
सच है कि उनके, आप हो नहीं सकते....-
हर उम्र में अगर उम्र का,लिहाज़ करूंगा....
किस उम्र में, मैं जिगर का काज करूंगा?
हर छोटी बात पर अगर, मैं बड़ी बात करूंगा....
करूंगा तैयारी कब, मैं कब बड़ा काज करूंगा?-
भ्रमित नहीं हूं , हूं नहीं मैं लक्ष्य विहीन,
ना मृत हूं और ना हूं , मैं गतिहीन....
कुछ क्षणों का, लिया विराम है,
अंत से पूर्व नहीं, कोई पूर्ण विराम है....-
अब तो ख़ामोशी भी मेरी,
तुम समझती होगी....
एक उम्र गुजारी है हमने,
बातें करते करते....-
अक्सर झांक लेता हूं ,
खुद के ही गिरेबान में,
दूर हो जाती है,
गलतफेमियां कई....
आईना देख लेता हूं ,
इस बात की जांच में,
नजरे मिलना खुद से,
कहीं मुश्किल तो नहीं....-
हर सिक्के (विषय/विचार/घटना) के तीन पहलू होते है, पहला और दूसरा तो हम सब जानते है, तीसरा पहलू समय जानता है, जो हमे देर से, कुछ बेहतर अनुभव और ज्ञानार्जन के पश्चात ही समझ आता है।
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