Mithun Singh مٹھن سنگھ   (Mithun singh)
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never love in life
Joined 22 May 2018


never love in life
Joined 22 May 2018
23 JAN 2022 AT 0:59

कुछ students थे दीवाने से,uppsc पे वो मरते थे..
books उठा के, चश्मा लगा के…library से वो गुज़रते थे
कुछ पढना था शायद उनको, पर जाने किससे डरते थे
पास कैसे होते हैं,मिथुन भाई, मुझसे पूंछा करते थे....फ़िर हम क्या बोलते है....
किताबें खुली हो या बंद…पढ़ना कुछ दिल पहले ही होता है….
कैसे कहूँ मैं ये यारा, ये exam कैसा होता है….समुन्दर जितना SYLLABUS है….
नदी जितना पढ़ते हैं
तालाब जितना याद होता है
बाल्टी जितना लिख के आते हैं
फिर चुल्लू भर marks आते है
जिसमें हम डूब जाते हैं

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8 JAN 2022 AT 10:23

हा! मेरा दिल टूटा हुआ है..
मगर इस दिल में मोहब्बत बेपनाह है..
और जब सच्चा इंसान मिलेगा ज़िंदगी में..
तो मैं टूट कर मोहब्बत करुगा उसे.
हा! मुझें अभी नोकरी नही मिली..
मगर मैं दिलो -जान से करना चाहता हूँ,जब एक नोकरी मिलेगी किसी दिन तो में पूरी शिद्द्त से करुगा उसे.
हा! मैं अभी अंधरे में हूँ मगर रौशनी की तलब है मुझें.
जब उजाला नजर आएगा किसी रोज...
तब पूरे ज़ज्बे के साथ जियोगा तुम्हे ए जिंदगी

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31 DEC 2021 AT 20:24

पढ़ने की अहमियत यह है के, आपकी पढ़ाई आपको कभी डिप्रेशन मैं नहीं होने देती आप दुनिया के किसी भी कोने में आप कहीं परेशान आपके अंदर से वही आपकी पड़ी हुई किताबें एक रोशनी करती हैं कि कुछ नहीं होता... तुम सबसे आगे, तुम सबसे अलग हो दुनिया की किसी महफिल बैठने में कोई दिक्कत नहीं... आपको यह पता होता है मुझे जितना चाहिए मुझे उतना पता है मैं बात कर सकता, हूँ, मैं बैठ सकता हूँ और किताबें आपके दिल, जिस्म के हर कोने में रोशनी डालना शुरू कर देती हैं आप अपने आप को खूबसूरत देख सकते हैं आप जो भी काम कर रहे होते हैं तो उसमें आसानी होने लगती हैं किताबें आपको सपोर्ट करती है....जैसे की कार या बाइक को चलाने के लिए ईधन की जरूरत होती है वैसे ही मेरी किताबें मेरे लिए ईंधन है जब जब मैं इनको पढ़ना छोड़ देता हूँ,तब मैं खाली-खाली सा महसूस करने लगता हूँ, पर जब जब पढ़ना शुरू कर देता हूँ, तब मेरी किताबें मुझे अंदर से भर देती है और मैं अच्छा महसूस करने लगता हूँ.....

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10 NOV 2021 AT 21:42

अब लगता है, ठीक कहा था ग़ालिब ने.....
बढ़ते-बढ़ते दर्द, दवा हो जाता है......!

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28 SEP 2021 AT 8:42

मेरा विश्वास बस मेरा आत्मविश्वास बन जाए....
ए मेरे महबूब बस तू मुझें मिल जाए....
लोग जो बोलते है आज तेरे बीना मुझें....
उनके बोलने पूर्ण में विराम लग जाए...
जब मेरे महबूब मेरे बदन पर रंग चढ़ जाए....

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18 SEP 2021 AT 3:16

नींद नही आ रही है,आज मुझकों...
लगता है, आँखों से बरसात होने वाली है...




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14 JUL 2021 AT 16:49

मेरे जनाजे पर वो सब आये......
जिनको कभी अच्छा, कभी बुरा लगता था.
मेरी पहचान बस इतनी सी थी,
मैं सामने जैसा, वैसी ही पीछे भी लगता था..
किसी ने मुझें समझा, तो किसी ने मुझें समझया.
किस गली मैं है घर...तेरा,
पर मुझें हर गली मैं, मुझें अपना घर लगता था..

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1 JUN 2021 AT 12:09

ना तितलियों से दोस्ती,ना गुलाबों का शौक है.....
मेरी तरह उसे भी किताबों का शौक है...

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19 OCT 2021 AT 21:28

झीलें क्या हैं,उसकी आँखें
उम्दा क्या है,उसका चेहरा
ख़ुश्बू क्या है,उसकी साँसें
खुशियाँ क्या हैं,उसका होना
तो ग़म क्या है,उससे जुदाई
सावन क्या है,उसका रोना
सर्दी क्या है,उसकी उदासी
गर्मी क्या है,उसका ग़ुस्सा
और बहारें,उसका हँसना
मीठा क्या है,उसकी बातें
कड़वा क्या है,मेरी बातें
क्या पढ़ना है,उसका लिक्खा
क्या सुनना है,उसकी ग़ज़लें
लब की ख़्वाहिश,उसका माथा
ज़ख़्म की ख़्वाहिश,उसका छूना
दुनिया क्या है,एक जंगल है
और तुम क्या हो,पेड़ समझ लो
और वो क्या है,एक राही है
क्या सोचा है,उस से मुहब्बत
करते हो,उस से मुहब्बत
मतलब पेशा,उस से मुहब्बत
इस के अलावा,उस से मुहब्बत
उससे मुहब्बत..........
उससे मुहब्बत..........
यहाँ उससे मुहब्बत का तात्पर्य उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से है*

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23 SEP 2021 AT 14:24

तुम पे शक है, अरे , नहीं जाना…
ऐसा हो सकता है कही जाना …
सबसे अलग किया, निराला किया
इश्क तुमने किताबो वाला किया
पर किताबे ही , ये बताती हैं..
कश्तिया दिल की डूब जाती हैं
इससे पहले भी खाब टूटे हैं,
इससे पहले भी साथ छूटे है.
तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी …
ये गाना जब भी सुनता हूँ लगता है तुम साथ हो
फ़िर डर जाता हूँ, शायद तुम उदास हो
जब लड़का गाता है तब लगता तुम पास हो,
रुमिथुन तेरे रु से मिथुन पूरा है तेरे मि बीना मिथुन अधूरा है
तू मुझसे पहले आती है मेरे नाम में आकर मिल जाती है
जैसे गंगा इलाहाबाद आकर यमुना से मिल जाती, फिर इलाहाबाद को संगमनगरी बुलाती है।
बस यही डर रोज सताता है
तुम मुझें छोड़ तो न दोगी....

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