कल्पित वस्तु का सहज ही बिना यथार्थ के मिलने का श्रेय भाग्य को जाता है। भाग्य उनका सुदृढ़ होता है जिनके सुविचार उनके कर्म और आचरण में समाहित होते है।
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शिक्षा से संबंध हमें एक बेहतरीन इंसान बनाती है,
जबकि शिक्षा से अनुबंध हमें नौकरशाही परंपरा का एक हिस्सा बनाती है।-
किस्मत खराब हो तो बात अलग है,
वरना बाज़ के शिकार गुलेल से नहीं होते।-
किसी भी वस्तु के स्वभाव या मूल रूप में बदलाव
को विकास नाम दिआ गया। जबकि कुछ का स्वभाव ही
उसकी पहचान है।-
जिन्दगी की दिशा निर्धारित करें,
वरना जिन्दगी आपकी दशा निर्धारित कर देगी।-
अपने थके हौशलों को एक नया आयाम दो,
मेहनत से अपनी संघर्ष को एक नया नाम दो।-
तुझमें कुछ तो खामियां होंगी,
कि निभाने वाले दोस्तों की कमी है,
हकीक़त से दूर, social media तेरी जमीं है।-
तुम्हे दूर तलक जाना है,
तुमने खुद में खुद को पहचाना है।
किसी पे ऐतबार नहीं करना,
खुदगर्जी का ये ज़माना है।-
मुझे इल्म नहीं मोहब्बतें दस्तूर का,
तेरी सोहबत ही काफी है,
क्या करूं चेहरे हूर का।-
ग़म छुपाने की हकीक़त अगर हम बयां कर जाते,
तो शायद आपकी नज़रों में, मोहब्बत नहीं पढ़ पाते।
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