अपनी गलतियों को छुपाएं कैसे
वो जो दूर है, पास आएं कैसे
सब बहुत मुक्कमल सा है सभी के लिए
मैं कब खुद के लिए, होश में आएं कैसे
सब मुझे अपनी कहानी बताते हैं बेधड़क
मैं अपनी कहानी हिसाब से सुनाएं कैसे
मुझे खबर है कि बर्बाद हो जाऊंगा एक दिन
सबको आबाद करके, मिट जाऊं कैसे-
Studying Master Degree in Geography from Lnmu...
"कभी कभी सामने देख कर भी
देखते रहना और चुप रहना भी
बहुत से समस्याओं का हल होता है।"-
मैं किससे कहूं, मैं कैसा हूं
तेरे सामने जैसा था, वैसा हूं
तुम बेशक मुझसे दूर जा रहे हो
मैं पास हूं, पहले जैसा हूं
मैं थक हार गया दुनियादारी से
तुम बस पास बुला लो, मैं वैसा हूं
तुम भी खो दोगे एक दिन मुझे
अभी भी वक्त है संभाल लो मुझे
मुझे तेरे साथ ही रहना है
जीना है तेरे साथ और मर जाना है।-
" हाथों में हाथ आकर , फिर फिसलते देखा है
कभी जिनके हां थे, अब ना में बदलते देखा है ...-
किस से मिले, किसे कहें
की बात तुम्हारी होती है
मैं आँखें खोले रखता हूं
नींद तुम्हारी सोती है।
हर पल हर वक़्त सदा
ये तुम्हे सोचते रहता है
ये रोता है, ये हंसता है
ये आंसू नहीं, ये मोती है।।
पा लिया , जिसे चाहा नहीं
वो बेग़ैरत सी होती है
तुम चाहो जिसे चाहे जितना
वो तेरा नहीं,क़िस्मत की होती है।।।-
मुझे ख़बर है कि कौन किस रास्ते पर है
पर उसे ये बात मजाक लगता है।
बहुत गहराई तक जा चुके हैं अपने
पर उसे ये एक जज़्बात लगता है।
हिसाब वक्त करता है, हम तो देखते हैं
मेरा हुआ, पर उसे ये हालात लगता है।
सभी "बेग़ैरत" हैं, मेरे " मर्ग " की दोआ करते हैं
ये जो है, पर उसे " सम्त " ए हयात लगता है।
मेरे इस्तेमाल का ऐसा कोई " शेवा " नही करें,
हम भी इंसान हैं, उसे क्यों " मालूमात " लगता है।
" ख़लिश " पहले बहुत थी ज़्यादा शायद
"रकीब" बने हैं वो, मजाक अब हर बात लगता है।
" दरीचा " बंद है अब धड़कनों की
साधू संत बन जाऊं, ये " खयालात " लगता है।-
कभी कभी सही होकर भी
गलत साबित हो जाते हैं ,
कभी कभी खुद से ही
खुद ही मुखातिब हो जाते हैं ।-
कोई क्या हमें बर्बाद करेगा
बर्बाद को क्यों बर्बाद करेगा?
सब वक्त की चाल है
चलते रहना है
आबाद कब हुए जो बर्बाद करेगा।।-