Mitesh Patel   (मितेश पटेल।कबीर©)
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Joined 7 May 2018


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26 NOV 2022 AT 11:53

समाज में आमूल परिवर्तन की ज़रूरत है। बिखर रहे समाज को सँजोए रखे ऐसे अभियान की ज़रूरत है।नीति प्रामाणिकता के बारे में बाद की बात है। पहले ठहरने की ज़रूरत है।हमारी शिक्षण प्रणाली ध्वस्त हो चुकी है जो कंठस्थ रखते थे वह अब मोबाईल या बुक में आ चुकी है और विद्यार्थी इन्ही भार के तले दब चुका है। बढ़ती टेक्नॉलजी की सराहना करते है किंतु समाज के सुखाकरी के बारे में भी सोचना है। प्राइवेट स्कूल कॉलेज बंद होनी चाहिए। प्राइवेट कोचिंग बंद होने चाहिए। जो दाता है वह सरकार के साथ खड़े रहे। सरकार एक अकड़ से विभाग की रचना करे। जिसके नाम के लिए सुझाव आमंत्रित हो। निर्दोष बालपन व्यर्थ जा रहा है। पारिवारिक रिश्ते ख़त्म होने के तादात पर है। संयुक्त जीवन की कल्पना ख़त्म हो रही है।
ऐसे वक़्त में क्या करना चाहिए?
“शिक्षक साधारण नहीं होता” चाणक्य ने कहा था।
आज शिक्षक साधारण हो चुके है।
हमारी पॉलिस की सामाजिक स्थिति बिगड़ रही है।
अस्पताल भरे के भरे रहते है।
हमने विकास किया है किंतु साथ में विकल्प नहीं रखा।
“एक बालक विभूति” की तरह उसे समाज में तैयार करना होगा।
“एक परिवार रघुकुल”पर काम करना होगा।
“एक पॉलिस एक स्टेट”के तहत काम करना होगा।
“एक राष्ट्र एक धर्म”को चुनना होगा।
सामाजिक सुधारना अनिवार्य है।
यह आज नहीं तो कल करना ही है तो अभी से क्यों नहीं?
कबीरजी कहते है,
”कल करे सो आजकर"॥
#रूषि #ख़ुदसे बातें... #4631 #

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26 NOV 2022 AT 2:51

तुम्हें राजा क़ैसा चाहिए?
राम की तरह! संभव है तुम सत्य के साथ खड़े रहोगे ? नहीं तुम अपने स्वार्थ के साथ खड़े रहोगे। वो भी अकेले। तुम स्वार्थी हो , जो राष्ट्र के बारे में सोचता है अपनी प्रजा के बारे में सोचता है। जिसने अपना जीवन तक प्रजा को सोप दिया है। उसके द्वारा लिए गए निर्णय पर संदेह कर रहे हो।राम तुम्हें नहीं मिलेंगे। तुम केवट नहीं हो। तुम्हारी भक्ति अड़िग नहीं है , तुम माता शबरी की तरह नहीं हो। तुम ठीक से विभीषण भी कहाँ बने हो।तुम सुग्रीव नहीं हो तुम निस्वार्थ अपने बाहुबल को ज़ोख़िम में नहीं रख रहे। तुम्हारे कंधे लालसा उठाते उठाते थक चुके है तुम अपने दिलमें रामजानकी की छवि कहाँ देख रहे हो।
अरे तुम रावण भी नहीं कि राम तुम्हें मिल जाए।तुम्हें जो मिला है वह श्रेष्ठ है,तुम्हारी कामना के मुताबिक़।
राम की आकांक्षा छोड़ दो क्योंकि राम को तुमने वनवास भेजा है।हे प्रजा!तुम दोषी हो।एक राजा के पारिवारिक जीवन को बिखेर दिया है।
और तुम्हें तो वह राजा चाहिए जो अपने परिवार को ही प्रजा समजे। त्याग का सम्मान होना चाहिए। चाहे वो राजा हो या प्रजा।
ये भारतवर्ष राम की धरोहर है। तुम्हें भरत बनके राज करना होगा। एक दिन राम आएँगे और मैं ये राज उन्हें सोप दूँगा॥
जैसा वह छोड़ के गए थे।तब तक मैं संन्यस्त हूँ।अपने शासकमें तुम भरत की छवि देखो और ख़ुद पश्चाताप से भरे॥… #रूषि #ख़ुदसे बातें... #4630 #

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22 NOV 2022 AT 2:26

#माँ सर्वव्यापी से सन्मुख #
शायद आगामी दिनों यह प्लेटफार्म पर मिलना न हो सके किंतु आज गहन बात कहने जा रहा हूं। "माँ सर्वव्यापी से सन्मुख"।आम तौर पर हमें नहीं पता हम कौन है?नौ महीने हमें अपने गर्भ में रखने वाली जगदम्बा हमें एक और मौका देती है कि शायद हम अपने आप को जान सके।ख़ुद कष्ट सहकर कदापि न चुकाने वाला ऋण, चुका सके!ईश्वर भी माँं के कोख से जन्म धारण कर इस धरा पर आते रहे है।मर्म है कि मोक्ष का मार्ग एक ही है।जो समाज की सेवा कर रहे है,ईश्वर की भक्ति कर रहे है और देश की सेवा कर रहे है वह सब सम्मान के पात्र है।जीवन में मौका मिले तो माँं की सेवा का मौका नहीं चूकना चाहिए।पुण्य की लालसा के लिए नही किंतु इस दुनिया में हमें लाने के लिए। हम नही आते तो ईश्वर कौन है?यह जान भी नहीं पाते और ज्ञान अर्जित नही कर पाते।उसके निकट बैठिए।वृद्धत्व को सहज करने के लिए उनसे बातें कीजिए।यदि आप उन्हें छोड़ देंगे तो ईश्वर आपको छोड़ देगा।उनकी अनुमति के बगैर किसी भी धर्म में आपकी निष्ठा दृढ़ क्यों न हो वह नष्ट हो जाएगी।राम के जीवन से सीखने का मौका है।कृष्ण के जीवन को जानने का मौका है।पिता की आज्ञा में माता की गर्भित अनुमति को राम समझ चुके थे। सभी से इतना कहना है कि समय निकालकर भी माँं की भावना को समझना होगा।उसके पास बैठकर ब्रह्मांड के सुख का अनुभव करना होगा।...(शेष आगे) #रूषि #ख़ुदसे बातें... #4629 #

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20 NOV 2022 AT 2:55

गुरु के केंद्र स्थान में रहना तुम्हारे मन को नियंत्रित करता है।कलिकाल में भले ही तुम्हें पाप ग्रह फल देते हो किंतु शुभ ग्रह का प्रभाव हमेशा बना रहता है।अवकाशी माहौल एक अलग तौर पर काम कर रहीं है यह अपनी समझ से ताल मेल रख रही है।कोई कह भी दे कि पृथ्वि से दूर रहनेवाले ग्रह कैसे फल दे सकते है।यह बात मोबाइल युग में बताने के लिए पर्याप्त है कि बहुत दूर बैठी चीज़ भी हमारे संपर्क में आ सकती है।अपने तीसरे भाव से ब्रह्मांड का बल पता चलेगा कि क्यों तुम विवश हो या साहसिक?भगवान राम और लक्ष्मणजी को अपने कंधे पर बिठाकर हनुमानजी सुग्रीव के पास ले गए थे।यह बाहुबल है।संचित वीर्य का प्रभाव है। जबकि हमारा शरीर ही पंचतत्व से बना है।कर्म की प्रधानता अव्वल है किंतु समानरूप से उसका भी प्रभाव ही है।कर्म करने के लिए तुम्हें कहां जा रहा है। परिणाम ईश्वर पर छोड़ दो। यह बात समझनी होगी।अर्जुन के मन का समाधान करना जरूरी था।येनकेन प्रकार से कृष्ण ने उसे समझाने की कोशिश की है।जो बात संजयजी जान चुके थे वह युद्ध भूमि में घटित हो रही थी।ईश्वर कहते है "कालोस्मी लोक क्षयकृत प्रवुद्ध" इस हिसाब से काल की गणना का भी उल्लेख मान लेना चाहिए।प्रतिध्वंधी को यथास्थिति रखने में शनि का महत्व है। इसे ही विजय कहते है।साथ में न्यायपूर्वक देने में प्रचलित है।देखना यह है मनुष्य कर्म करता है कि नहीं!... #रूषि #ख़ुदसे बातें... #4628 #

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20 NOV 2022 AT 2:28

समाज में लेखकों की संख्या बढ़नी चाहिए।कवियों के लिए अनुकूल मौसम होना चाहिए।।समाज के भीतर एक भय सा माहौल है।क्या लग रहा है,मरम्मत होनी चाहिए।जरूरी नहीं कि तुम ईश्वर के बारे में जानो। जरूरी है पहले ईश्वर के बनाए संसार को जानो। एक पिता की भावना क्या है बच्चों के लिए?माता का दुलार क्या मायने रखता है?भाई बहन का प्रेम क्या है? दोस्त ऐसे ही बनते है खास क्यों हो जाते है?पत्नी के त्याग के बारे में जानो, पूरा परिवार छोड़ के एक अनजान से सफर पर चल पड़ी है।तुम ईश्वर के बारे में मत जानो।किंतु जानो कि प्रकृति में क्या रहस्य छिपा है कि वह हमारा ध्यान रख रही है? अपने आसपास के बसे जीव के बारे में जानो।भावना समान रुप से सब में है।यह भावमय जगत है। हमारा आचरण मनुष्य के भांति ही रहना चाहिए।हमें यह दर्जा दिया गया है।मन में राम बैठेंगे या रावण यह सोचने के लिए ही यह मनुष्य होना पर्याप्त है।तुम्हारे भीतर हैवानियत है तो जंगल में चले जाओ।वहां तुमसे ज्यादा पशुता जीवन चल रहा है। तुम जाओ रहकर आना या साधु होके आना या आत्मा को वही छोड़ देना।अगर एक सुसंस्कृत समाज चाहते हो तो अपने भीतर रहे मनुष्य को जगाओ।वह जग जाएगा।इतना याद रखना होगा कि मनुष्य समाज जिम्मेदारी और विवेकशील समाज है।ईश्वर,खुदा या किसी भी परम शक्ति को पूजना छोड़ दो पहले यह तय करो कि तुम कौन हो?"अयम आत्मा ब्रह्म"... #रूषि #ख़ुदसे बातें... #4627 #

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19 NOV 2022 AT 1:50

ये दुनिया बेफिक्री सी है।
ताज्जुब है ये चल रहीं है।।...
#रूषि #ख़ुदसे बातें... #4626 #

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17 NOV 2022 AT 16:35

आदरणीय श्री नरेंद्र मोदीजी को सादर अर्पण॥भारतीय जनता पार्टी के हर एक कर्तव्यनिष्ठ सदस्य मोदीजी के समान है॥
॥भाग-१॥
आओ मोदी, बैठो मोदी।
घर घर में जाएँगे मोदी।।
प्रजा का है जयघोष नारा।
राम मंदिर निर्माण हमारा॥
गाँव गाँव अब शहर बनेंगे।
उन्नत होगा राष्ट्र हमारा॥
आओ मोदी, बैठो मोदी।
घर घर में जाएँगे मोदी॥१।।
बुलंद भारत पहचान हमारी।
घर घर मोदी आई बारी॥
रक़्तकी फ़ुँवार उड़ेगी।
केसरिया होगा गुजरात सारा॥
आओ मोदी, बैठो मोदी।
घर घर में जाएँगे मोदी॥२।।
चलो चलो तुम चलते जाना।
जन जन में बात बतलाते जाना॥
चुनाव आया है चारो और।
कमल हाथ में देते आना॥
आओ मोदी, बैठो मोदी।
घर घर में जाएँगे मोदी॥३।। …
#रूषि #ख़ुदसे बातें... #4625 #दि.१६/११/२०२२

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17 NOV 2022 AT 3:05

इतनी तेज़ी से आगे बढ़ रहे इंसान के पास खालीपन के अलावा कुछ न रहेगा। दरअसल यह समय की मांग भी है।किंतु हालात और बिगड़ रहे है।मनुष्य का मन इच्छाओं के महासागर में गोता खा रहा है। जब कि वह अनंत है।हम क्या करे? यह प्रश्न हरेक के जीवन में बारबार आ रहा है। न हम प्रकृति के साथ जुड़ पा रहे है नहीं हमें परिवार के साथ वक्त बिता रहे है। इश्क़ को इंसान ने सस्ता कर दिया है। चीज़े आसानी से प्राप्त हो रही है।मन बेकाबू हो रहा है।आप ठहर जाए।किसी एक मुकाम को हासिल करे।शांत दिमाग हर समस्या का निराकरण है।अगर आप रुकना चाहे तो देर तक रुक सकते है। और रुकना चाहिए।व्यायाम करे।योग करे।ध्यान करे।मंत्र बोले या ईश्वर से जुड़े। अपने मनपसंद गीत को सुने।थोड़ी देर के लिए भूतकाल में चले जाए।वह पल याद करे जिसमें सुख था।दुख में से कैसे आप बाहर निकल आए।यह स्मरण करे।किसी भी वस्तु या विषय अनंत नही है केवल ईश्वर के अलावा।आप का मन काबिलियत रखता है ऊंचे से ऊंचे पहाड़ को पार करना।दिव्य पुरुषो के जीवन चरित्र से जानें कैसे परिस्थिति को बदल दिया जाता है।हमें अपने भाग्य को बनाने के लिए परिश्रम करना है।परिवार घर और आध्यात्म जीवन।जब आप अध्यात्म जीवन में प्रवेश करने लगेंगे आप एक मनुष्य से देव में परिवर्तित हो जाएंगे।वहां पर हमारे सिवा कुछ नहीं।केवल ॐ नाद होगा और शंकर की जटा से निकल रही मां गंगा।... #रूषि #ख़ुदसे बातें... #4624 #

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16 NOV 2022 AT 2:01

अनुकूल प्रतिकुल क्या है? और आत्मा और जीवात्मा क्या है?
जो अलख है उसे किसी भी बात से लिखा नहीं जाता उसे पाने के लिए महसूस करना होता है।मन मनुष्य के लिए समस्या भी है और समाधान।जो अनुकूल है वह सत्य नहीं हो सकता और प्रतिकूल असत्य है ऐसा कहां नही जा सकता। आत्मा के लिए यह दोनों मायने नहीं रखते।जीवात्मा जगत में इन दोनो की प्रधानता है।
"मन एवं मनुष्यानम कारणम बंध मोक्ष्यम" मनुष्य के लिए मन ही बंधन और मोक्ष का कारण है।क्या बंधन है? क्या मोक्ष है? ईश्वर को न मानने वाले लोगों के लिए भी यह ज़रूरी है।भगवान वेदव्यास कहते है,
"अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनम द्वयम।
परोपकाराय पुण्याय पापाय परपीडनम।।"
यह मन से मुक्त होने का मार्ग है।जैसे ठंडी गर्मी बारिश - सुख दुख,
भगवान कहते है,
"मात्रास्पर्शास्तु कौंतैय शीतोष्ण सुखदुख:।
आगामानपायिनो नित्यान तान तितिक्षस्व भारत।"इसे सहन करने की काबिल होना।
मन से क्रोध कर सकते है।किंतु मन से संयम नहीं।जबकि क्रोध और संयम में मन का हिस्सा समानरुप से मौजूद है।हमारी लड़ाई भीतर है और हमें लड़ना चाहिए।हमारी इंद्रियां हमारे वश में नहीं।कही कही लिखा गया है कि जो आत्मा को अनुकूल लगे किंतु आत्मा दोनों से परे है।मन को सर्वोच्च शिखर पर लाना होगा।
महादेव जिस जगह बैठे है उसका महत्व समझे।उनके आभूषण और वस्त्रपरिधान को समझे।उनके मौन को महसूस करे।... #रूषि #ख़ुदसे बातें... #4623 #

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15 NOV 2022 AT 1:52

सहन शक्ति की एक हद होती है,
वह अंत में रूद्र में परिवर्तित हो जाती है,
यह ब्रह्मांड का नियम है,
जो कुछ ग्रहण हो सके वह तेज में परिवर्तित हो जाता है,
जो सीमा बाहर है वह विस्फोटक हो जाता है।
तुम अपने भीतर समाविष्ठ करते रहो,
जितना हो सके तुम स्वीकार करो,
जो स्वीकार नहीं होगा वह विलीन हो जाएगा,
मृत्यु तुमसे स्वीकार नहीं होती अंततः वह निस्तेज हो जाती है, जो तेज है वह दूसरे तेज की और आगे बढ़ता है।
यह वास्तविकता है कि पूरे ब्रह्मांड में सर्जन और विसर्जन एक साथ मौजुद है। तुम जीवन जी रहे हो तो संभव तुम्हें मृत्यु आएगी। यह नियम है।
रुद्र विनाश के लिए प्रसिद्ध है।
स्वयं तक के विनाश को समेट वह तेजोमय, ब्रह्मांड में भर जाता है,
विस्फोट के स्वरूप नव सर्जन करता है।
उस रुद्र के शरण में जाओ जो अभय करने का सामर्थ्य रखता है।
भगवान शिव के पवित्र नाम में रूद्र एक है।
शिव को विष भी पसंद है तभी वह मंथन से उत्पन्न हुए मल को पी गए। जबकि अमृत का पान देवताओं ने किया।यानी अमृत पीना है तो शिव से भेट करनी होगी।
भगवान राम से पूछे शिव कौन है? वह कहेंगे कि वह भोले है जो देना होता है वह तुरंत दे देते है।
ये परीक्षा जैसा कुछ भी नही। ईश्वर तुम्हारी परीक्षा क्यों करे?
जबकि वह ख़ुद हम में समाए हुए है।
जो हम है वह अग्नि स्वरूप भास रहे है।... #रूषि #ख़ुदसे बातें... #4623 #

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