सहन शक्ति की एक हद होती है,
वह अंत में रूद्र में परिवर्तित हो जाती है,
यह ब्रह्मांड का नियम है,
जो कुछ ग्रहण हो सके वह तेज में परिवर्तित हो जाता है,
जो सीमा बाहर है वह विस्फोटक हो जाता है।
तुम अपने भीतर समाविष्ठ करते रहो,
जितना हो सके तुम स्वीकार करो,
जो स्वीकार नहीं होगा वह विलीन हो जाएगा,
मृत्यु तुमसे स्वीकार नहीं होती अंततः वह निस्तेज हो जाती है, जो तेज है वह दूसरे तेज की और आगे बढ़ता है।
यह वास्तविकता है कि पूरे ब्रह्मांड में सर्जन और विसर्जन एक साथ मौजुद है। तुम जीवन जी रहे हो तो संभव तुम्हें मृत्यु आएगी। यह नियम है।
रुद्र विनाश के लिए प्रसिद्ध है।
स्वयं तक के विनाश को समेट वह तेजोमय, ब्रह्मांड में भर जाता है,
विस्फोट के स्वरूप नव सर्जन करता है।
उस रुद्र के शरण में जाओ जो अभय करने का सामर्थ्य रखता है।
भगवान शिव के पवित्र नाम में रूद्र एक है।
शिव को विष भी पसंद है तभी वह मंथन से उत्पन्न हुए मल को पी गए। जबकि अमृत का पान देवताओं ने किया।यानी अमृत पीना है तो शिव से भेट करनी होगी।
भगवान राम से पूछे शिव कौन है? वह कहेंगे कि वह भोले है जो देना होता है वह तुरंत दे देते है।
ये परीक्षा जैसा कुछ भी नही। ईश्वर तुम्हारी परीक्षा क्यों करे?
जबकि वह ख़ुद हम में समाए हुए है।
जो हम है वह अग्नि स्वरूप भास रहे है।... #रूषि #ख़ुदसे बातें... #4623 #
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