mitesh bhawsar   (Mitesh's)
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Joined 14 March 2018


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Joined 14 March 2018
17 JUN AT 10:18

कल जो मिले तो मन था रोने का
अपने आंसू से बहुत कुछ कहने का
कि मुदतों बाद मिले हैं
किस पर कहूं, और किस पर चुप रहूं
तुम्हारी आंखों की गहराई पर बात करूं
या जो बात न हो इतने समय में उस पर बात करूं
तुम्हारी सादगी पर कहूं, या तुम्हें देखता रहूं

मिले जो कल की मुलाकात अधूरी है
पुरी कैसे करूं ये बड़ी मजबूरी है

कि मिलेंगे तो बहुत कुछ कहूंगा या चुप रहूंगा
तुम्हारे दर्द सारे ले लूंगा,

तुम्हें हंसी दूं, मुस्कुराहट दूं
और ये कहकर गले लगा लूं ।

बहे जो आंसू बहने दूं , चुप रहूं कुछ न कहूं
मिला लूं हाथों से हाथ ।

तुम्हारे होंठों पर कुछ कहूं, या चुपके से छू लूं

तो बन जाए बात..

क्या लिखूं अभी अधूरी है..
तुम्हारे बिना ये नहीं पूरी है..

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13 JUN AT 14:09


रिश्तो की गहराई को
समझकर चलना,
एक दूसरे पर "श्रद्धा" से विश्वाश बनाये रखना,
"सौरभ" की तरह जीवन अपना महकाते रहना ।

बना रहे ये रिश्ता ,स्नेह का ,
ऐसी कोशीश लगातार करते रहना ।
आएगी जीवन मे चुनोतियाँ अपार,
मिलकर दोनो उसे पार करना।

रूठो कभी तो ढूंढना बहाना,
कभी मुस्कुराना कभी खिलखिलाना ।

जिंदगी है छोटी ,
हाथ थामकर एक दूसरे का ऐसे ही चलते रहना ।
13 Jun 2025

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13 JUN AT 13:41

माँ और माँ सी माँ ।
खिलखिलाती सी माँ , अलहड़ सी माँ ।
सपनो को सच बनाती माँ ,
प्यार बरसाती माँ ।
करुणा बरसाती माँ ,
दो चार फटके लगाती माँ ।
कपड़े सिलती सी माँ ,
जिंदगी से जदोजहद करती माँ ।
ना शब्द ना उपमा है माँ,
सर्वस्व त्याग और शक्ति है माँ ।
नमन है ।
माँ और माँ सी माँ।
09 sep 2018

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24 MAY AT 23:22

काशी~मणिकर्णिका...
लेखनी उठाने से पहले सोच
शून्य सी है ।।
जंहा चिंताए और चिताए मुक्त सी है।
मौन कह रहा है,
कभी भावनाओ में , कभी अश्रुओं में बह रहा है।
शब्द वीरान है ,
वहम ,हम जो है , वो नही है।
लाखों से अपने यहाँ शून्य से है,
निस्पंद आंखे पड़ी है,
अमृत्व की अभिलाषा ,
अपने और अपनों के लिए ।
यह सोच अभी भी बनी है।
अधरों पर मंद हँसी है।
जीवन बस यही है ।।
24.05.2025

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24 MAY AT 23:12

स्नेही शुभम,
कितना सुंदर दिन आया है
"माँ" ये कहने वाला कोई आया है l

कहा से शुरु करू यादे तुम्हारी,
जब मेरे रक्त में , प्रेम बनकर बहते थे तुम।
चुप रहते , कुछ ना कहते थे तुम !
धड़कते थे मेरे ह्रदय के हर स्पंदन में तुम
मेरे हर स्वास , हर कण कण में तुम।
जैसे ~
शिव का अनुपम प्रसाद हो तुम
" शुभम " जीवन जीने की मेरी स्वास हो तुम ।
तुम्हारी मुस्कुराहटों ने मेरे जीवन ,
को खूबसूरत बना दिया ।
नन्हे नन्हे पग ने मुझे जीना सीखा दिया।
स्वस्थ रहो सफल बनो तुम,
ऐसे ही जीवन मे मेहनत करो और आगे बढ़ो तुम
उम्मीदों और आकांक्षाओं के पथ पर बढ़ो तुम।

"शोभा" का शुभाशीष ,
सदैव अपने मस्तक पर धरो तुम,

तुम्हारे जीवन की तकलीफ में ना घबराना तुम
"माँ " कहना अपने निकट पाना तुम

शुभ जन्मदिन पर शुभम को ढेरो शुभाशीष
स्नेही माँ

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20 MAY AT 16:47

प्रिय बहना ,
चहके कलरव हर और पंछी का,
महक उपवन में छाई हो,
प्रशन्नचित रहो ऐसी शुभघडी आई है ।
जीवन मे आगे बढ़ते चले जाना तुम,
कोई है, नही है साथ मे
ये सोच मत घबराना तुम
छू लेना आसमान को
पंखो को फैलाना तुम ,
स्नेह से सबका साथ निभाना तुम
अपने कुल को सदा महकाना तुम
"शीतल"ता का अहसास कराना तुम

शुभ और मंगलमय जन्मदिन

प्यारी स्नेही बहना
15 May 2025

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19 SEP 2024 AT 23:22

मेरे आँगन में खुशियों का बसेरा है ।
लगता है ऐसे , जेसे कोई सपना है ।।
स्नेह जलधी रशधर लिए रहती है ।
नन्हे हाथों में प्रेम अपार लिये रहती है ।।

कभी रोद्र, कभी वीर, कभी शांत कभी चंचल,
जी भर के हंसी , और वात्सल्य झलकता है ।
जेसे माँ के रूपो की परिकल्पना लिए
पुरे घर मे घुमती है ।।

छू कर पग को उसके,
देखे हमारे ये नयन, और कहे ये मन ।
बस बिटीया ऐसी ही रहें,
खुशियां अपार ऐसी ही रहें ।।

शुभ जन्मदीन बेटू
20.09.2024

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18 MAY 2024 AT 22:21

कोई एक जो हक़ जताती है
कोई एक जो जी भर हंसाती है
कोई एक जो बहुत स्नेह दिखाती है
कोई एक जो अहसास दिलाती है
बहना ।
तेरी बहुत याद आती है ।।
तू झगड़ती है तो हँसी आती है
गोदी की गुड़िया अब
ख़ुद का गुड्डा सम्भालती है
बहना
अब समझदार सी दिखाई देती है।
आजा फिर से मेरे पास
कुछ समय के लिए ही
तेरी यादे कभी कभी बहुत रुलाती है 🥹

पर हा तेरी हंसी मेरा मन भर जाती है
बहना तेरी याद आती है

जन्मदिन की शुभकामनाएँ
मेरी उम्र और ख़ुशिया तुझे मिले
और तेरे आशीष से मुझे स्नेह
15.052024

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18 MAY 2024 AT 22:19

मेरे बाऊजी
परिवार के वट वृक्ष ,
जिनके स्नेह और शीतलता की छाँव में हम मुस्कुराते है।
जिनकी अनुभव की गहरी जड़े हमे ,
पोषित और और सदृढ़ कर रही है ।
प्रेम का कोई मोल नहीं
आपके प्रेम जैसा कोई अनमोल नहीं
ना शब्द ना शब्द की कोई क्यारी
आप है हमारे जीवन की फुलवारी
बस यू हीं स्नेह और आशीष बनाये रखना
जीवन पथ पर संबल बनाये रखना
होगी ग़लतिया हमसे इस जीवन में
आप आपका स्नेह और आशीष बनाये रखना
जन्मदिन की अपार शुभकामनाएँ
आपका स्नेही
21.02.2024

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28 OCT 2023 AT 22:34

शून्य ही हूँ, में ना आदि ना अनंत
बस शून्य हूँ में ।
कहा जाऊँ , कहा से शुरू करूँ कहा अनंत
बस शून्य हूँ में ।।
कुछ मिले जीवन में जो शून्य थे
आगे जाकर वो एक ही हो गये
और अंत में वो पहचान हों गये
और में बस शून्य हूँ ।
मन में उथल पुथल है की में एक हो जाऊ ।
पर दिल कहता है तू शून्य है और शून्य ही होगा ।।
जीवन यही है ।
जो मुझे एक करना चाह रहे है ।
वो भी शून्यता से एक की और अग्रसर हो गये ।।
और में शून्य
बस यही जीवन है और यही में 😊
28.10.2023

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