Mitali Raj Tiwari   (manjari)
145 Followers · 13 Following

read more
Joined 11 March 2018


read more
Joined 11 March 2018
6 OCT 2019 AT 22:52

इक रोज़ उसने हाथ से छीना था अपना दिल
उस रोज़ से कुछ हाथ से पकड़ा नहीं गया

-


1 SEP 2019 AT 0:28

मैं उससे बात करती हूँ ,तो एसे बात करती हूँ
कि मेरी बात से उसको ,ये बिलकुल इल्म ना हो की
मैं उससे बात करने को ही महज़ बात करती हूँ

-


29 AUG 2019 AT 9:37

मन चंचल

-


19 JUL 2019 AT 14:41

दिल-ए-नादान तुझको रोकना है
ये चाहत सिर्फ़ चार चेहरों की शाज़िश है
तू इसमें भीग कर ख़ुश हो रहा है
ये राहत सिर्फ़ चार पहरों की बारिश है

-


28 NOV 2018 AT 18:21

पर्त-दर-पर्त जो इश्क़ चढ़ाया था कभी
पर्त-दर-पर्त उतारूँगी इंतज़ार तो कर





-


17 NOV 2018 AT 17:14


(बुरे वक़्त को हँसी ठिठोली कर कितना भी टालना चाहो ,
वो आँखों के आगे आ ही जाता है ,
अंग-मीती ने भी पुरज़ोर कोशिश की ,कि वो मीती के व्याह की बात कम करें ,
पर मीती के व्याह में ज़्यादा दिन बचे नहीं थे और तेयारियाँ अपने ज़ोर पर थीं।
अगली शाम जब दोनो मिले तो मीती कुछ चुप चुप सी थी।)

अंग- ऐ... क्या हुआ तुमको .. आज इतनी शांत कैसे
हो।🙄

मीती- कल लगुन जा रही है अंग... और उसके बाद
रस्मों के साथ सिर्फ़ 7दिन बचेंगें शादी को ।😣

अंग- ( कुछ शांत रहा फिर बोला) तुम दुखी हो क्यूँ रही
हो मीती ?... तुम्हारे साथ ही तो जा रहा हूँ , बस
खुले आसमान को ताक कर एक आवाज़ लगा दिया करना ..
मैं हाज़िर☺️

मीती- सच कह रहे हो ना ??.. ☹️

अंग- हमारी मीती की क़सम 😌

(मीती अंग के सीने से लग गयी, एक लम्बी साँस भरी और कहा
"सुकून हो तुम" अंग और अंग ने मीती का माथा चूम कर कहा "जान हो तुम मीती")❤️

-


2 NOV 2018 AT 18:58

Manjari

-


31 OCT 2018 AT 16:37


❤️ग़ज़ल❤️


फ़लक के चाँद को पल में ज़मीं नहीं करते
किसी के इश्क़ पर इतना यक़ीं नहीं करते

वो मेरा है नहीं तो उसको दिल दिखाऊँ क्यूँ
हर एक शक्स को यूँ दिलनशीं नहीं करते

बड़े अदब से उसने कान में ये फूँका है
गुनाह-ए-इश्क़ तो हम नाज़नी नहीं करते

उसे मालूम था मैं उसका खाब रखता हूँ
यूँही तो ख़ुद को लोग महजबीं नहीं करते

हज़ार ख़्वाहिशों के दरमियाँ रक्खा है उन्हें
ना जाने क्यूँ वो हमको हमनशीं नहीं करते


-मंजरी




-


2 SEP 2018 AT 22:51

आसमान में चमकता अष्टमी का चंद्रमा अपना रूप और चमक ,
एक लाल सी चादर में छिपाए हुए था
और उधर छत पर अंग अपना तेज़ ,मीती के आँचल में समेटे हुए था

मीती उस चाँद को निहारती हुई ,एक हथेली को ज़मीन पर टेके ,
दूसरे हाथ से अपनी गोद में सर रख कर लेटे अंग का सर सहला रही थी ,
अंग आँख बंद कर धीमे धीमे कुछ गुनगुना रहा था ।

मीती- सुनो ना ...
आज ये चाँद लाल क्यूँ हैं ... बड़े ग़ुस्से में लग
रहा है ।😕

अंग- हम्म... ग़ुस्से में ही है 😌

मीती- हाए.... चाँद तो शीतल होता है ना फिर उसे
ग़ुस्सा किस बात का 🤔

मीती का आँचल अपने चेहरे से हटाते हुए अंग ने उसकी
बाँह पकड़ कर हल्का सा अपनी ओर खिंचा...

अंग- जिस चाँदनी का दीवाना चाँद ख़ुद है ,वो किसी
तारे का सर अपनी गोद में रख कर सहला रही हो
तो वो चाँद ग़ुस्सा ना करे तो क्या नाचे मेरी जान? 😉

मीती- हैं.... अच्छा.... धत्त...... 🤦🏻‍♀️बातों के धनी तुम ।

(दोनो की खिलखिलाहट से समा गूँज रहा था ,
और दूर वहाँ आसमान में चाँद ने खिसिया कर ख़ुद को बादलों में छिपा लिया )

-


9 JUL 2018 AT 10:51

मुक़ाम पाने का हुनर

"ज़माने का क़ुसूर था " तो
पुराना सा हो गया

-


Fetching Mitali Raj Tiwari Quotes