बहुत खेल ली आज तक विकल्पों की होली....
अब निज स्वभाव के रंग में रंगने की बारी है..
और बहुत बार किए बाहर में भगवान के दर्शन..
अब खुद को भगवान स्वीकारने की बारी है...
JAIN_TATV ✍️-
आपसे शादी होना ये मेरे लिए सौभाग्य की नहीं बल्कि महासोभाग्य की बात है..
आपके ही निमित्त से मुझे मेरे गुरु से मिलने का महासौभाग्य प्राप्त हुआ..
सच कहूं तो अब समय आ गया है कि आप भी अब अपने स्वरूप का निर्णय जल्द से जल्द करो और सच्चे सुख को प्राप्त करो...
आपके उपकार की सदैव ऋणी रहूंगी..
वैसे सत्य तो यही है कि कोई द्रव्य दूसरे द्रव्य का कभी कुछ कर ही नहीं सकता है..🙏-
नए साल का आना सिर्फ आना न हो...
सपनों को पूरा करने का इरादा सिर्फ इरादा न हो...
करना अपने आप पर भरोसा इतना कि..
किसी भी परिस्थिति में तुम्हारे जीवन में अंधेरा न हो.....😊😊 JAIN_TATV..-
हे भव्य जीव अब तो इस जन्म को सफल करो..
संयोग है सत समागम का तो अपना कल्याण करो..
मंद है कषाय तो बाहर में न लगाओ इसे..
अपनी संपत्ति को जानो और बस उसका ही भोग करो..🙏🙏-
अपनी छोटी सी उम्र में भी, वो हमको हमसे मिला गए..
अपना कर्तव्य वो सही मायने में, बखूभी निभा गए..
हैं भव्य जीव वो क्योंकि, उन्होंने खुद को जान लिया था..
और इसी लिए वो हमको भी, भगवान बता गए...🙏
#Jain_tatva-
क्यूं माँ के प्रति प्यार को एक दिन का मोहताज बना दिया है.....
जब मां की सुंगध हमारे जीवन को हर पल महकाती है तो हमारा प्यार एक ही दिन क्यूं बरसे...❣️❣️-
🙏प्रेम कहीं बाहर में नहीं अपने अंतरात्मा से करो🙏
प्रेम मैं क्यूं किसी और से करू, जब मेरा प्रेमी मेरे अंदर ही है...
क्यूं बनु मैं मीरा और पी लूं विष, जबकि मेरा प्रेमी मेरे अंदर ही है...
नहीं मनाना अब मुझे किसी को, क्योंकि रूठना मुझे खुद आता ही नहीं...
और क्यूं मैं देखू बसंत की राह, जब मेरी बहारें मेरे अंदर ही हैं..
माना की प्रेम के रंग हजारों हैं दुनिया में, पर मैं क्यूं उनको देखू..
जब मेरा इन्द्रधनुष मेरे अंदर ही है..
और मैं क्यूं खिलाऊं बाहर में कलियां
जब एक प्यारा गुलिस्तां मेरे अंदर ही है..
नहीं रहना मुझे इस शोर शराबे की दुनिया में...
क्योंकि एक शांत महफिल मेरे अंदर ही है..
और बहुत हुआ अब घूमना बाहर में.....
क्योंकि मेरी दुनियां मेरे अंदर ही है ...🙏🙏
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आज तुमको दिल से धन्यवाद देती हूं, इसलिये नहीं की तुम्हारे साथ पिछले 19 सालों से खुश हूं बल्कि इसलिए कि मुझे जो सच्चे "देव-शास्त्र-गुरु" का सानिध्य मिला है उसमें निमित्त कारण तुम भी हो,
आज अगर मैं अपने आप में कोई निर्णय ले पाई हूं तो उसमें सहयोग रूप तुम भी शामिल हो..वैसे मैं जानती हूं कि कहीं न कहीं मेरी ही भली होनहार होनी लिखी थी तो तुम जीवन साथी के रूप में मिले वैसे सच तो यही है कि
"जो भी होना है और जो हो रहा है वो सब पूर्वनिश्चित है"
🙏🙏— % &-
एक वो थे, कि हमें हमसफ़र कहते रहे...
और एक हम थे, कि सफ़र शुरू होने का इंतज़ार करते रहे...😒😒-
थे आप भी हम जैसे ही...
फिर भी भव-बन्धन को काट दिया..
ज्ञान जो पाया आत्म ध्यान से...
वो भी हममें बाँट दिया...
हम भी चाहें वही अवस्था...
जो आपने बतलाई...
इसी कामना से देती हूँ...
आज के दिन की मैं बधाई...
🙏🙏
JAIN_TATV-