तिरंगा खरीदो ना खरीदो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
जो दिखे तिरंगा कहीं तो गर्व से उसको अपना लेना
ढोंग ना करना कोई देश भक्ति का ये हर पल दिल में रहती है
सरहद पर नहीं हो तो क्या हुआ तुम खुद को वीर बना लेना
जो दिखे तिरंगा कहीं तो गर्व से उसको अपना लेना
अरे कितने देश पर कुर्बान हो गए क्या किसी को याद है
तिरंगे की लाज हमेशा रखना इसको अपनी इज्जत सम्मान बना लेना
जो दिखे तिरंगा कहीं तो गर्व से उसको अपना लेना
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बेटी
बेटी है हर घर का जेवर मासूम सी ये होती हैं
हर बात को दिल में रख हमेशा हंस कर जीती हैं
हजारों बातें बेटी सबके दिल की सुनती है
कोई इसको भी जानो ये हमसे क्या कहती है
बेटी की ही चहचाहाट से घर जगमगाता रहता है
चिड़िया जैसी प्यारी ये घर में सबकी लाडली हैं
आसमानों को छूकर ये रोशनी में खिलती हैं
ऐसा अब कोई काम नहीं जो बेटियां कर नहीं सकती है
राष्ट्रीय बालिका दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं-
तू वही किया कर जो तुझे अच्छा लगे
यूं कुत्तों के भौंकने से शेर अपनी चाल नहीं बदलते
तू खुद को काबिल समझ आगे बढ़
यूं लोगों के कहने पर अपनी मंजिल नहीं छोड़ते
ये रोना रोकर शांत रहना कमजोर हो जाओगे तुम
हर बाधा को पार कर यूं चुप चाप नहीं बैठा करते
ये दुनिया है मेरी जान तुझे गिराएगी रोकने की कोशिश करेगी
तू बस देख अपने लक्ष्य को यूं अब अकेले सोचा नहीं करते-
मैं वो अकेली डाल का सूखा हुआ पत्ता
जो जलाओ तो जल जाऊं या फिर कहीं अकेले उड़ जाऊं
वो अकेली डाल जो हजारो डालियों में अकेले है
बहुतों की भीड़ है मेरे साथ भी पर फिर खुद को अकेले अंजान ही पाऊं
वो अकेली डाल का सूखा हुआ पत्ता
जो जलाओ तो जल जाऊं या फिर कहीं अकेले उड़ जाऊं-
ना वक्त है ना लिख पाता हूं मैं
ना जाने क्यों अंदर ही अंदर घुटता रहता हूं मैं
एक अजीब सी बेचैनी कुछ तो मन में है मेरे
अब सोचता बहुत हूं पर कुछ भी कह नहीं पाता हूं मैं
लाखों की भीड़ में मैं खुद को ही क्यूं अकेला पाता हूं मैं
जब अकेले चुप चाप बैठूं तो क्यों सुकून से रह नहीं पाता हूं मैं
आँखो में नमी है खुद में ही कुछ बातें मेरे अंदर दबी हैं
जब चाहूँ किसी से कुछ बोलना तो क्यूं इस तरह डरा हुआ हूं मैं-
तुम दिसंबर बनके रहना साथ मेरे
मैं जनवरी तक तुम्हारा साथ निभाऊंगा
जब होगी थोड़ी नॉक-झोंक अपने बीच
तो फरबरी मे पूरी नाराजगी मिटाऊंगा
मार्च - अप्रैल से जिंदगी की नई शुरुआत करेंगे
मई - जून की गर्मी में तुम्हे बर्फीले पहाड़ दिखाऊंगा
जुलाई में अगर मान गए तुम्हारे घरवाले तो ठीक
वरना अगस्त में तेरे ही नाम का झंडा फहराउंगा
सितंबर - अक्टूबर में कुछ नया करेंगे
नवंबर में अपने घरवालों से तेरी बात कराऊंगा
बचा फिर दिसंबर तो सब अच्छा ही होगा
चलना मेरे साथ मनाली की तुम्हे माल रोड भी घुमाऊंगा
तुम दिसंबर बनके रहना साथ मेरे
मैं जनवरी तक तुम्हारा साथ निभाऊंगा
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं-
गुजर रहा ये साल भी
कुछ दूर हुए कुछ पास आए भी
बहुत रुलाया तूने ऐ गुजरते वर्ष
तो कभी हंसे थे हम बहुत कुछ छिपाया मैंने भी
भूलकर पुराने वर्ष को
कल से नई शुरुआत करो
जो अगर उदासी मन में
तो मेरे साथ चंद कुछ बातें करो
खूबसूरत सफलतापूर्वक आए आपका नया साल
रोशनियों से भरा रहे खुश हो आपका भविष्य काल-
तुम ऐसे छोड़कर जाओगे सोचा ना था
दोस्त थे यार तुम तो तुम यूं रुलाओगे सोचा ना था
भुलाई नहीं जाएंगी तुमसे जुड़ी वो प्यारी सी यादें
तुम खुद एक दिन याद बन जाओगे सोचा ना था
कैसे दूर करें ये दर्द चाहकर भी सेहन नहीं कर पा रहे
ये दर्द तुम हमें दोगे कभी सोचा ना था
वो स्कूल को चुलबुली बातें वो अपनापन
तुम हम सबको अकेले कर जाओगे सोचा ना था-