Mishty _Miss_tea   (Mishty's moment ©)
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Joined 30 September 2018


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20 OCT AT 13:10

🪔 “अब भी जल रही है एक दीपावली भीतर...”

कई बरस बीत गए,
पर मेरे भीतर अब भी एक अंधेरा है
जो तुम्हारे न लौटने से नहीं,
बल्कि तुम्हारे लौटने की आस से जगमगाता है.....

लोग कहते हैं
दीप जलाने से अंधकार मिट जाता है,
पर मैंने सीखा है, अगर दिया मिट्टी का हो तो
दिए की रोशनी भीतर का शून्य बढ़ा देती है....

हर वर्ष की तरह इस बार भी
मैं चौखट पर दिया रखूँगी
न तुम्हारे आने के लिए
बल्कि ये जताने के लिए कि
मैं अब भी “प्रकाश” पर विश्वास रखती हूँ,
भले ही जीवन छाँव में गुजर रहा हो

कहीं दूर तुम्हारी खिड़की पर
अगर एक दीया झिलमिलाए
तो समझ लेना,
वो मेरे दिल की आख़िरी लौ है,
जो अब भी तुम्हारे नाम पर टिमटिमा रही है...

सुनो.... तुम्हें मेरी तरफ़ से हैप्पी दिवाली ✨

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17 OCT AT 17:03

त्योहारों का सबसे बड़ा मज़ा ये है कि
घर लौटने के लिए
किसी भी बहाने की जरूरत नहीं पड़ती

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17 OCT AT 17:00

भीतर से खाली होना कोई अपराध नहीं,
वो तो बस संकेत है
कि कोई बहुत गहरा एहसास
अपना घर छोड़ गया है
और जहां कुछ भी नहीं है वो खालीपन भी
भरा हुआ होता है
"अभाव" से......

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16 OCT AT 9:59

मैंने बचाकर रखें हैं दो चार आंसू
क्यों की मुझे पता है
एक ना एक दिन
नदियों की गवाही पर सूख जाने हैं समंदर

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16 OCT AT 9:57

खुली रह जाती है खिड़कियां
बंद हो जाते हैं दरवाज़े....

क्षणों के सुखों की प्रतिक्षा में
सूख जाता है जीवन....

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14 OCT AT 16:40

उसे मैं घर कहा करती थी... हर ख़त में,
अब लिफ़ाफे में क़ैद है वो नादानियां मेरी

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13 OCT AT 15:18

कहते हैं,
हर रूह की एक अपनी महक होती है .…...
जो इत्र से नहीं,
किसी के बाहों में दुबककर
पैदा हुए इश्क़ से होती है....

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12 OCT AT 10:12

किसने सोचा था तुम्हारे मैसेज से उठनेवाले लड़के को दूधवाले की घंटी जगाएगी

चेहरे पर तुम्हारे हाथ के स्पर्श से अलग खिड़की से सन कर आती हुई धूप गर्माहट देगी....

सुबह की परवाह न किसी से मिलने की जल्दी नहीं होगी इतवार अब दफ़्तर की छुट्टी से पहचाना जाएगा...

चाय अब दो हिस्सों में नहीं बांटी जाएगी और पुरी चाय को खत्म करना बोझ लगने लगेगा..

वैसे सुबह नहीं बदली,
इतवार नहीं बदला,
न वो चाय बदली है
न वो कमरा बदला है

बस एक वक़्त जो बदल गया है किसे पता था एक शख़्श के जाने से इतवार के दिन भी
सुकून नहीं आएगा

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11 OCT AT 21:53

लोग कहते हैं ये दुनियां प्रेम के पीछे भागती है
और जो ठहरा है वो भी प्रेम के लिए ही ठहरा रहा...

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10 OCT AT 22:36

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