Mishty _Miss_tea   (Mishty's moment ©)
2.8k Followers · 3.8k Following

read more
Joined 30 September 2018


read more
Joined 30 September 2018
15 SEP AT 10:02

मैं जब देर रात तक जागता रहता हूं,
किताबों को सीने से लगाए हुए,
मैं कोई ग़जलें नहीं सुनता... 
बस कुछ क्लासेज होती है जो देखता हूं देर रात तक,
वक़्त ने मुझे प्रेमी कहां रहने दिया
जब से स्टूडेंट बना … वहीं ठहरा रहा हूं ...
वरना मेरी भी यही हसरत है 
मेरे किसी एक तरफ करवट लेने पर मेरे पास तुम सोई हो 
कभी अचानक से मैं नींद से जाग जाऊं तो तुम मुझे थाम लो,
कभी देर रात तक बात करते हुए
तुम मेरी गोद में सर रख दो,
आधी रात तक गज़लें बजती रहे और मैं तुम्हें प्यार करता रहूं
तुम्हारे गर्दन की दाईं तरफ़
मेरे दांत के निशान गढ़ने पर तुमसे डांट खाऊं,
तो कभी मैं अपनी बांह पर तुम्हें रखकर बड़े ही प्यार से
तुम्हारे बालों को सहलाते हुए तुमसे पुछूं 
क्या तुम्हें चांद पसंद है??
और तुम खिलखिलाती हुई हंस दो..
सच कहूं  मैं ऐसा प्रेमी बनना चाहता था...
तुम्हारी हथेलियों पर जो चांद रख सके,
ख़ैर....
मैं ऐसा कुछ नहीं कर पाया
जो मैं प्रेमी बनकर करना चाहता था
वैसे मेरे दो चैप्टर अब भी पढ़ने बाकी है
फ़िलहाल तुम सूकून से सो जाओ,
क्यों की तुम्हारी खिड़की से अब भी चांद दिखाई देता है
और मेरी खिड़की से महज़ मेरे अधूरे ख़्वाब...

-


13 SEP AT 12:12

सबसे कठिन है प्रेम की खेती
हमें लगता है

बसंत आते ही प्रेम ही प्रेम खिलने की राह देखते हुए प्रेमी

अक्सर भूल जाते हैं पतझड़ ....

-


13 SEP AT 11:58

सबसे ज्यादा स्वाद होता है
अतीत के चुंबनों का...

और सबसे गहरी गंध
उन सांसों की जो कभी हमारे जहन तक जा पहुंची थी

और सबसे ज्यादा पीड़ा... खैर यूं कहिए के कभी तुमने हमारी हथेलियां थामी थी...

नाखून अब भी बहुत चुभ रहें हैं यार !!!

-


10 SEP AT 15:03

इस दुनिया और उस दुनिया के बीच कहीं मैं खड़ा हूँ…
जहाँ दिल धड़कता तो है
पर अपनी धड़कनों की आवाज़ तक अजनबी लगती है...

पत्थरों पर रखे फूल की तरह,
नाज़ुक और बेमानी लगता है अस्तित्व,
कभी तुम्हारा स्पर्श इस वीराने में रंग भर देता है,
तो कभी तारीख़ों की गिनती मुझे अपनी ही उम्र का बोझ याद दिलाती है,

मैं उम्र गिनना भूल चुका हूं
तारीख़ों की गिनती नहीं करता,
रोज सलेटी आसमां पर टीके हुए सूरज को देखता हूं
और फ़िर उसे उतारकर
चांद लटका देने का ख़्वाब देखता हूं

इस चांद और सूरज में लपेटे हुए
सच और झूठ के बीच लटकती ज़िंदगी से
बस तेरे नाम की तस्बीह गुनता हूँ,

मैं झूठ इतना जानता हूं
की अब सच जानने का मन नहीं करता
लगता है की इतना जी चुका हूं
अब ज़िंदगी की की ज़िद नहीं करता,

-


7 SEP AT 21:00

शाम और स्याह हो चली है या बारिश होने वाली है
या हो सकता है सूरज ठहर गया हो
तुम्हारे शहर की दीवारों पर....

-


7 SEP AT 16:38

-


7 SEP AT 16:34

जिन्हें फेंक दूँ तो दिल रो पड़े, और संभालूँ तो आँखें नम हो उठें,

जा रहे हो ठीक है मगर
सूखे हुए गुलाब कहां रखूं ये बताकर जाओ...

-


5 SEP AT 11:58

मैं बड़े होकर दुनियां जीतना चाहती थी,
ये बात अलग है
अब शाम को सीधा घर लौट आती हुं....

थोड़ा जल्दी भागकर
छाता लेने दौड़ती हूं....बारिश में नहाने की अपनी मर्ज़ी छोड़कर...

चूंकी रसोई में थोड़ा काम ज्यादा है
दूध उबालकर ढंकना ज्यादा जरूरी हो गया है,
बारिश से कपड़े भीग रहे हैं
मन अब भी सूखे की मार झेल रहा है.....

लोग फुसफुसा रहे हैं कि मैं अपनी दुनियां में मस्त हूं,
पर कोई नहीं जानता
मैं अब भी एक दुनियां की खोज रही हूं
जिसे जीतना रह गया है मुझसे....

-


5 SEP AT 9:27

-


4 SEP AT 9:32

प्रेम की प्रतीक्षा भी हरसिंगार जैसी होती है… रातभर चुपचाप खिलती है, और सुबह होते ही अपनी मासूमियत से ज़मीन सजाती है।  जैसे हरसिंगार का फूल छोटा होकर भी अनंत सुगंध छोड़ जाता है, वैसे ही प्रतीक्षा छोटी हो या लंबी, दिल पर अपनी अमिट छाप छोड़ जाती है।  हरसिंगार हमें सिखाता है कि गिरकर भी कोई हारता नहीं, बल्कि ज़मीन को ख़ुशबू देकर और भी ख़ास बन जाता है।  शायद इसलिए, प्रेम में की गई प्रतीक्षा हमारे जीवन को सुगंधित कर देती है, भले ही उसका फल देर से क्यों न मिले… 🌸

-


Fetching Mishty _Miss_tea Quotes