उन दिनों,
जब कभी दोस्त थे हम,
न कोई गलतियां सुधारने की चिंता,
ना बिछड़ने का कभी डर था,
और इन दिनों,
प्रेम में
एक गलती पर सौ सफ़ाई देने पर भी
तुम्हें खो देने का डर दिल से जाता ही नहीं,
वाकई,
रिश्ता थोड़ा सा बदल जाते ही
परिस्थियाँ बहुत सारी बदल जाती है,-
मेरी आखरी सांस का,
मुझे पता नहीं होगा
शायद,
नहीं बोल पाऊंगी,
हो सकता है कि...
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लफ्ज़_ए_मोहब्बत मेरी,
हो सकता है,
मेरी ख़ामोशी
को समझ जाए,
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काट के खा ले
तन्हाई मेरी,
या फ़िर
इस आसमाँ के
चाँद को निगल जाए !-
उफ,
खंजर से भी नुक़ीले
ख़याल तेरे,
रातभर दिल पे वार करते है,
रात तो कट
जाती है धीरे धीरे पर
दिल को लहूलुहान
और मोहब्बत को ज़ार ज़ार करते है
-
कभी उसे भी इल्म हुआ होगा उसने गलत किया है,
जो दिल लगाने दिया था वो उसने ले के तोड़ा है,
जाँ जाती मेरी तो कोई तकलीफ़ की बात नहीं थी,
उसने वो मेरी मन्नत का धागा जानबूझ के छोड़ा है,
रोशन करने उसकी हर शाम को जला दी थी आँखें मैंने,
उस रात इलाही!! आंखों से मेरे कितना लहू दौड़ा है,
कभी मज़बूरी ही सही लेकिन आ जाए मेरे पास वो,
उसे याद हो इतना की मैंने उसे नहीं, उसने मुझे छोड़ा है,-
लिखती हुं मैं,
जहां प्रेम के इर्दगिर्द
घूमते हैं
मेरे शब्द...
शायद
कभी ऐसा हो,
मेरे शब्दों के
इर्दगिर्द
घूमे केवल प्रेम!!-
अपने प्रेमी की
अनुपस्थिति में
अक्सर प्रेमिकाएं
लिखती है
हाथों में मेंहदी से प्रेमी का नाम
ख़त,
वो प्रेम गीत,
धड़कनों का संगीत,
खुशियाँ और
बाद में
विरह के गीत भी..
बस,
वो कभी नहीं लिख पाती अपना नसीब
जो उसे अपने प्रेमी से मिला दे !!-
अश्कों के साथ आंखों के रास्ते... धीरे धीरे निकल जाते है,!!
सुना है...फिर ऐसे लोग कभी लौट के वापिस नहीं आते है,!!-