मैंने उस इंसान का नाम अंजान लिखा, खुद को धूप और उसको छाव लिखा एक खत मैंने इश्क़ के नाम लिखा।। मैंने उस अंजान इंसान को मेरी जान लिखा, खुद को काटे और उसको फूल लिखा एक खत मैंने इश्क के नाम लिखा।। मैंने मेरी जान को एक बार फिर अंजान लिखा, खुद को वक़्त और उसको इंतज़ार लिखा एक खत मैंने इश्क के नाम लिखा।।
खामोशी थी जुबान पर, और उसने कभी मेरी खामोशी को समझा ही नहीं, हाल-ए-दिल बया भी ना कर पाए, और वो कभी मेरे मोहब्बत को समझे ही नहीं, बहोत पहले ही अपने जिंदगी में वो आगे बढ़ गए, और हम उनकी यादों को कभी भूले ही नहीं।।।
हाँ मेरी यादों में बसे हो तुम, मेरे आँखों में सजे ख्वाब की तरह हो तुम, उजालों में तो हमेशा साथ रहे तुम, मगर अंधेरा होते ही जो साथ छोड़ दे, मेरी जीवन मे उस साये की तरह ही हो तुम।।
ना जाने कैसा युग चल रहा है जो हमें अपना कीमती वक़्त देकर हमसे बाते करना चाह रहे है,उन्हे ना तो हम अपना वक़्त देना चाहते हैं, और ना ही उनसे हम बात करना चाहते हैं, और जिसके साथ हम वक़्त बिताना चाह रहे या उनसे बाते करना चाह रहे वो हमें अपना ना वक़्त देना जरुरी समझते है, और न ही वो हमें जरूरी समझते हैं।।।
He-How much you love me ? She-(With smile) leave it.. He- please tell me dear? She- ( with tears in eyes) As much as you cheat me... He- (shoked)whatt? You know that everything? She - yes I know everything.... He - ( with tears in eyes) I'm sorry...🥺 She - forgot it man...i know that you never ever love me... You always treat me like as option...😔😔