आज कल जिससे देखो,
मुझमे कमियां ही नजर आते हैं।
एक वक्त था,
जब हम भी कामियाब होते थे।
कई लोगो के प्रिय होते थे ।
पर वक़्त के चलते,
जीवन के कई कठिनायों की वाजे से,
खुद को संभाल क्या ना सके,
गहराइयों में डूब क्यों ना गए,
लो, आज वही लोग हमें
नाकामयाबी का चिन्ह बताते हैं।
आज कल जिससे देखो,
मुझमे कमियां ही नजर आते हैं।
मेरी नाकामी देखने वाले लोग,
मेरी कठिनाईयों को जरा समझे ।
एह, बाली उम्र में हाथ पकड़के
दुनिया दिखाने वाले लोग,
आज फिर हमें आपके साथ कि आवश्यकता हैं।
मेरी कमज़ोरियों के ऊपर ध्यान ना देके,
फिरसे मेरे हाथ पकड़के साथ तोह देके देखिये,
क्या पता, आपके साथ ही हमे ताकत दे,
क्या पता, जिंदगी की फिरसे जीने की प्रेरने दे,
क्या पता, इन नाकामियों को कामियाबी में बदल सके।
आज कल जिससे देखो,
मुझमे कमियां ही नजर आते हैं।
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