Miss Confused   (Neha Kashyap)
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धर्मो रक्षति रक्षितः
न कंचित् शाश्वतम्
Joined 21 December 2017


धर्मो रक्षति रक्षितः
न कंचित् शाश्वतम्
Joined 21 December 2017
21 JUL 2020 AT 12:03

फकत खुश है लोग खुशफहमियों में अपनी
हर कोई हमारे चेहरे की हसीं चाहता है

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21 JUL 2020 AT 11:03

आज कल कुछ ख़ास लिखा नहीं जाता
गमों का साथ मुझसे कुछ खफा सा है |


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1 JUL 2020 AT 13:37

जरूरी नहीं तुम कहो इश्क़ है
जब खुद में अक्स उसका दिखने लगे
वो भी मोहब्बत है

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14 SEP 2021 AT 17:00

हम सभी कुछ बनना चाहते है
एक उम्र तक ,
हम सभी कुछ तो बन जाते है
एक उम्र बाद |

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20 JUN 2020 AT 16:41

वो लड़की

कुछ भी ख़ास नही था उसमे
ना ही कुछ भी अलग

ना उसका चेहरा चाँद को टक्कर दे रहा था,
ना उसकी ज़ुल्फ़े नागिन को मात।

ना उसकी आँखे हिरनी को हया दिला रही थी
ना उसके होंठ गुलाब की पंखुरियों को क्रोध

फिर भी उसको यूँ खामोश बैठे देखने से
सब कुछ रुक गया था

जितनी बार वो अपनी डायरी का एक पन्ना फाड़ कर
पानी में बहाती

शायद थोड़ी खुद भी बह जाती उसके साथ
हाँ, ये करते हुए वो खुश तो नही थी

और ना उसकी डायरी के पन्ने
पर फिर भी दोनों अलग हो रहे थे

एक एक करके सब पन्ने खत्म हो गए
साथ ही साथ थोड़ी कही वो लड़की भी

पर अब ,
कुछ तो ख़ास था उसमे
और कुछ अलग

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12 JUN 2020 AT 16:31

जीने की वजह तो कुछ ख़ास है नहीं
उफ़ !!!
बस तुझे एक बार और सुनने का लालच

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11 JUN 2020 AT 17:34

सोचा कुछ लिख दू तुम्हारे लिए
कुछ खास और कुछ युहीं

हाँ याद आया ,
तुम्हे सुनना पसंद है मुझे
और तुम्हारा चुप रहना भी

जो आज सुनी तुम्हारी आवाज में
वो ख़ुशी पसंद है मुझे
और जो तुम कहते नहीं वो गम भी

देर रात मुझे सुनते हुए
" अब मुझे सोने दो " कहना पसंद है मुझे
और इसके बाद कुछ पल ठहर जाना भी

हाँ तुम काफी कुछ कहते नहीं मुझसे
जो नहीं कहते वो भी पसंद है मुझे

माना तुमको देखा नहीं रूबरू मैंने
पर तुमको पहचानना पसंद है मुझे

हाँ प्यार नहीं मुझे तुमसे बेशक
पर तुम साथ हो ये पसंद है मुझे

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11 JUN 2020 AT 17:17

आखिरी पन्ना

तुम मेरे लिए उतने ही ख़ास हो,
जितना मेरी किताब का वो आखिरी पन्ना

वो आखिरी पन्ना मुझे मैं रहने देता है ,
जैसे तुम रहने देते थे।

नहीं कहता मुझे वो कभी
मेरे शब्दों को सवारने को ,
ना ही नीले ,काले और लाल
रंग की सीमाओं में बाँधने को ,

जैसे तुम कभी नहीं कहते थे।

वो नहीं करता ईर्ष्या मेरे
बाकी पन्नों पे लिखने से ,
बस खुश होता है वो
मेरे और उसके साथ होने पे ,

जैसे तुम होते थे।

बुरा नहीं लगता उसे की
कुछ भी लिखो उसपे मैं ,
बस मान लेता है मेरे कहा
सब सच झूठ वो ,

जैसे तुम मान लेते थे।

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6 JUN 2020 AT 20:30

बस कुछ तुम जैसा तुमको कहना है
मैं कुछ कहो ना, पर तुम समझ जाना |

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4 JUN 2020 AT 16:51

Who noticed everything, everyday.

A sad human with happy faces.
A vagabond with perfect home.
A nobleman with cruel heart.
A burglar with pure soul.
A squeal with no tears.
A truth with lie.

I'm just the lone standing tree.



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