मिश्रा जी की कलम   (सोनू मिश्र ✍️)
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Love to write own thoughts in own words.
Joined 18 June 2020


Love to write own thoughts in own words.
Joined 18 June 2020

अगर कोई आपसे सबसे बेकार भाई सबसे बेकार संतान सबसे बेकार दोस्त और सबसे बेकार इंसान के बारे में पूछे तो उसको कह देना वह देखो वह मक्कार इंसान वहां खड़ा है और उसको मेरा नाम बता देना

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राज की बात है अपनों की शक्ल में भेड़िए घूम रहे हैं आप सावधान रहिए नहीं तो ये आपका कच्चा मांस तक नहीं छोड़ेंगे।
जंगल के भेड़िए तो मरे हुए लोगों को खाते हैं लेकिन यह जो भेड़िए हैं ये आपको तिल तिल काटेंगे आर तड़पा तड़पा कर मारेंगे फिर बोलेंगे गलती तुम्हारी है।।

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हर कोई हमदर्द थोड़े ही हैं जो सबसे दिल की बात बयां की जाए,
हर कोई अपना थोड़े ही है जो सबके सामने अपने अश्क बहाए जाएं,
हर कोई अपना सगा थोड़े ही है जो सबके सामने अपना सब कुछ खोल कर रख दिया जाए,
कुछ लोग होते हैं जो बस आप के तलवे चाटने के लिए होते हैं सब को सर पर चढ़ाया जाए यह जरूरी थोड़े ही है। ।

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तुमसे ज्यादा मेरे लिए और कोई ख़ास नही, फिर भी तुम्हे रास नही।
यूं तो मिल जायेंगे लड़के मुझसे बेहतर और बेहतरीं पर मेरी माँ सी सास नहीं।।

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सोच रहा हूं feelings और emotions बेचकर शेयर मार्केट में लगा दो एक तो लोग इनसे खेलेंगे नहीं दूसरा loss कम होगा।।

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शनैः शनैः से ही बरसने से फसल अच्छी होती है प्रबल वेग से तो केवल प्रलय आता है

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अगर आप विकल्प की शरण में जाते हैं तो आप केवल और केवल मूर्ख बनते हैं, आपका अधोपतन होता है। आप बताएं की सत्य प्रकाश ज्ञान सूर्य और पुरुषार्थ का कोई विकल्प है क्या।।

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कभी-कभी इंसान की कद्र उसके गुणों से नहीं उसके धन से होती है और हमेशा ही धनवान कहीं ना कहीं गुणवान गिना जाता है धन है तो गुण है ऐसा दुनिया का कहना है तो धन का खूब संचय करो, ब्रह्मचर्य का पालन करो, प्रचुर मात्रा में शक्ति एकत्र करो,और ईट का जवाब पत्थर से ना देकर तलवार,बंदूक,भाले, तोप इत्यादि से देना सर्वथा उचित रहेगा।।

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मुद्दतों ख्वाहिश थी जिसकी 2
उसे ख्वाबों में देखा एक दिन ,हकीकत में उसने मुझे ठोकर मार दी । ख्वाब तो टूटा ही हकीकत में भी हम हाथ मलते रह गए, राह तकते रह गए।।

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जिसे नजरों में बसा रखा था ,वही नजर ना आए तो क्या करना ।
कि जैसे नजरों में बसा रखा था ,वही नजर ना आए तो क्या करना ।।
और जिसकी आहट पर दौड़ते थे, जिसकी आहट पर दौड़ते थे ,वही आवाज देखकर छिप जाए तो क्या करना।।जैसे, जिस तरह ,जितना, जितना भी चाहा जा सकता था चाहा हमने।
इसके बाद भी कोई तन्हा छोड़ जाए तो क्या कहना।।

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