कुछ खुशियां चंद पल की मेहमान होती है महादेव
आप ऐसी खुशी दीजिए जो पूरी जिंदगी मेरे साथ रहे!-
सफर शुरू किया है तो रास्ते बनाने तो होंगे .....
ठोकर भी खायेंगे पर दर्द भुलाने भी तो होंगे.....
यूं ऊंचाई पर जाना इतना आसान होता है क्या ......
पर जारी रखना है सफर तो कदम बढ़ाने तो होंगे.....-
अभी तो शुरुआत हैं ,अंत अभी बाकी हैं
अभी बची है पूरी कहानी, ये तो बस झांकी हैं ।-
जरा सा इश्क हुआ हैं ,
अभी और होना बाकी हैं !
लगता हैं खुश रह लिए बहुत ,
अब रोना बाकी हैं !-
अमीरों के आलीशान महलों से सुंदर
गरीबों का वो आशियां होता हैं
जहां रौशनी तो धीमी होती हैं
पर उसमें ही सारा जहां होता हैं ......-
कुछ बातें मुश्किलों में कटती हैं ,
कुछ आसान हो जाती है ..
ये जिंदगी हैं साहब कभी कभी बेईमान हो जाती हैं ...-
छोड़ गए हमें वो चंद खुशियों के खातिर!
जरा याद उन्हें वो वक्त आए !
कि कितने खुश थे हम एक दूसरे के साथ!-
इश्क का खुमार तो तब चढ़ा जब उन्हें ढलती रात की बढ़ती चांदनी में देखा.....
यू तो हम भी मुस्कुराते बहुत हैं घायल तब हुए हम जब उन्हें मुस्कुराते हुए देखा....
वो पूर्णिमा की चांदनी बनती नजर आई और मैं अमावस के चांद सा कहीं खो गया.....
उसकी हया उसकी सादगी उसकी पहचान थी बस इसी बात ने ही हमें मोह लिया......
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इश्क़ बेइंतहा हैं तुमसे बताऊं कैसे....
ये दिल नादान हैं इसे समझाऊ कैसे !
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होठों पर जिक्र जब भी तेरा हुआ.....
नज़रें झूक गई शर्म से नजरें छुपाऊ कैसे !-