तेरी उस हल्की सी मुस्कान के.. इस ओर सूरज जलता है.. उस छोर चाँद पिघलता है ! बलाएँ टलती हैं.. दुआएं मनती हैं ! प्यास तरसती है.. घटाएं बरसती हैं ! फूल खिल जाते हैं ! उस मुस्कान के सिरों पर.. ज़मीन आसमान मिल जाते हैं !
कभी यूँ भी अपने दिल को बहला लेती हूँ... पापा के phone से ख़ुद को call लगा लेती हूँ... कभी उन्हें missed call दे देती हूँ... उन्हें ऐसे भी याद कर लेती हूँ ...
मैंने तुम से फ़रेब किया तुम इस वहम में जी लेना तुम ने मुझ से मोहब्बत की मैं इस भ्रम में जी लूँगी तुम ग़लतफ़हमियों में जी लेना मैं ख़ुशफ़हमियों में जी लूँगी
पिता बच्चो को सब सिखा देते हैं.. सिवाय,उनके बिना जीना कैसे है. ये पाठ बच्चा खुद ही पढ़ता है.. उनके बताए रस्ते पर आगे बढ़ता है. यही उनकी परवरिश की परीक्षा है.. उनके महान प्रेम की परम दीक्षा है.