जिसे पाना हर कोई चाहे, जिसे माँगे हर कोई !
उसके बिना ना रह सके, उसके सिवा ना कोई !
जो हैं सभी में मौजूद, उसे देख सका ना कोई !
जो फैला है दसओ-दिशा, पर थाम सका ना कोई !
जिसे नाम दिये हज़ार, पर काम आया ना कोई!
ग़र किया किसी पे "प्यार-निसार", भूल सके ना कोई,
समज सके जो "प्रीत" का सार,
बेड़ापार उसीका होए!! (२)-
કળા વાદળ લીલી ધરા,
ટહુકે મોર ને કરે કળા !
અંતર ની જ્વાળા ને મળી સજા,
ને હૃદય ના બાળક ને પડી મજા !
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ગ્રીષ્મ થી બળતી ધરા પર જ્યારે,
વર્ષા ની એક બુંદ પડે.
કંઈ-કેટલાય માસ ના વિરહ પછી આજે,
ક્ષુધા અવની ની તૃપ્ત ઠરે !-
ना शब्दों में उसे आंक सके,
ना लफ्जों से उसे बांध सके,
ना जानें कैसा ये एहसास हैं !
ना हम कुछ कह सके,
ना वो कुछ दिखा सके,
ना जानें कैसा ये संवाद है !
ना कभी ऐसा सोचा था,
ना कभी ऐसा हुआ था,
ना जानें कैसे क्या हो रहा है !
ना हमने कभी ये सोचा था,
ना उन्होंने कभी ये मांगा था,
शायद यहीं प्यार हैं !
शायद यहीं प्यार हैं !
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ना शहर की रोशनी हैं, नाही बड़ी इमारतें ,
मेरे गांव मे एक झोपडी हैं, जहां बसी हैं कई यादे ।
नाही बड़े बाजार है, नाही जिंदा राते,
बड़ा सा हैं परिवार, जहां होती सिर्फ खुशियों की बाते ।
ना पक्की सड़के है, नाही गाडियों की कतारें,
पैदल ही काटते है सफर, बिना थके हारे ।
"Social Media" से ज्यादा है वहां रिश्ते-नाते,
शहर में रहते हैं हम और करते है गांव की बाते !!!-
सपने सजाए, हकीकत देखी (और)
जानी मैने ये बात !
"मालिक" ने ना मेरी हैसियत देखी (और)
दिया मुझे बेहिसाब !-
दोस्त तेरी दोस्ती है लाखों में एक,
तू है मेरे साथ फिर किसका करू wait !!
चाहे मिले मुजे तेरे जैसे अनेक,
दोस्त रहूंगा में तेरा always !!
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कलम ने पन्नों पर जब से की चढ़ाई,
शियाही की कुर्बानी से शब्दों में जान आई!
कईओ ने कविता की गंगा बहाई,
(तो) बोहोतो ने शब्दों की तलवारे चलाई !
आशिकों ने कहानी मोहब्बत की सुनाई,
शायरों ने किताब शायरी की बनाई !
वीरो की क्रांति की ज्वाला है जलाई,
(तो) दुतो की शांति की प्रार्थना भी सिखाई !
इतिहास की अदभुत गाथाएं पढ़ाई,
अलौकिक धार्मिक कथाएं भी सुनाई !
कलम से ही हमने सीख है पाई,
कलम से ही कृतज्ञता कलम को जताई ! (2)-
कोन है मनु, कोन है पशु ?
कोन वफादार, कोन फ़रामोश ?
कोन है इंसान, कोन हैवान ?
किसकी है दुनिया, कोन जताए अधिकार ?-
दुख़ तो हमे होता है सैनिक के मरने पर,
वह तो सौभाग्य समजता है शहीद होने पर !
आसु तो हम बहाते है जनाजे पर,
उसे तो सलामी दी जाती है तिरंगे से लिपटने पर !
दया तो हमें आती है उसके परिवार पर,
वह तो गर्व करते है उसके बलिदान पर!
हम तो एकाद शायरी लिख देते है सैनिक पर,
वो तो जिंदगी लूटा देते है वतन पर !
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