निर्मल आज दूल्हे के लिवास में खुद को आइने में निहार रहा था
आज उसकी शादी थी, निर्मल एक जिम्मेदार और सुशील लड़का है वो अपने माता और पिता का कोई बात नहीं टालता था कभी, आज भी वो उन्हीं के पसंद की लड़की के साथ शादी के बंधन में बंधने वाला था।
उधर छवि आज क्लीनिक में मुंह लटकाए खड़ी है , doctor ने उसे चार महीने का प्रेगनेंसी का रिपोर्ट थमाया है, डॉक्टर ने कहा अपने हसबैंड को नेस्ट टाइम लेकर आना। पर छवि बेबश है, निर्मल जो उसका प्रेमी था, वो पहले ही बोल चुका था शादी वो अपने मां और बाप के पसंद की लड़की के साथ ही करेगा। फिर भी वो निर्मल को फोन की, पर उधर से आवाज आया मैं किसी छवि को नहीं जानता मै अपने माता पिता को दिए गए वचन के प्रति वफादार हूं। लेकिन वो छवि को धोखा दे सकता है , शायद ये धोखा उसके वफादार होने का सबूत हैं।-
कभी झूठ बोलना
किसी को दुःख देना
किसी के दिल को ठेस पहुंचना
नहीं आया कभी दगा करना
शायद इसलिए पीछे रह गए
पर हमे उसकी परवाह नहीं
नहीं आया कभी हमको
सच्चाई की राह से मुकर जाना-
ये हमे अकेले चलना सिखाता है
हमे आत्म निर्भर बनाता है
खुद का अवलोकन तन्हाई में ही हो पाता है
तन्हाई में जो मजा है वो किसी और में नहीं
बड़े काम की है ये तन्हाई-
गुरु से बढ़कर कोई नहीं
कहते है माता पिता से बड़ा कोई गुरु नहीं
सदा उनका मान करें
अपने अंतर्मन से उनका आदर सत्कार करें
गुरुजनों का आदर करें
अपने अपने गुरुओं का सम्मान करें
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
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अचानक मोबाइल पर रिंग हुआ निधि जाग गई, रॉन्ग नंबर कहकर उसने फोन काट दिया, अक्सर निधि के पास उस नंबर से कॉल आने लगा, जाना पहचाना सा नंबर लगता है निधि ने खुद से कहा , कोई रिंग करता निधि का आवाज सुनता और फोन काट देता, ये सिलसिला चलता रहा निधि भी अब उस कॉल का इंतेज़ार करने लगी, एक दिन जब कॉल आया निधि ने कहा कौन हो, मैं चाहूं तो तुम्हारी पुलिस कंप्लेन कर सकती हूं ,बताओ क्यों करते हो कॉल , तब उधर से आवाज आई निधि बेटा मै तुम्हारा पिता हूं ,बड़ी मुश्किल से तुम्हारा नंबर मिला, दरअसल निधि के माता पिता का divorce हो गया था सालों पहले ,निधि के पिता डाइवोर्स के बाद निधि का कोई जिम्मा नहीं लिया, उसकी मां ने उसे अकेले ही पाला, अब सालों बाद उसके पिता का पितृत्व भाव जाग उठा और निधि का आवाज सुनने के लिए बेताब हो उठा, निधि दंग रह गई, और कंपकपी आवाज में कहा मेरे कोई पापा नहीं है, उसने फोन काट दिया ,सिसकियां लेती रही , उसके कमरे में उस वक्त तीन लोग मौजूद थे सिसकियां, निधि का आंसू और बस उसका मोबाइल फोन।
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কেউ আসে না
সবাই হতে চাই সুখের পায়রা
যদি প্রকৃত বন্ধু হও তাহলে
সাথে থেকো , পাশে থেকো সব সময়
এসে যেও দুঃখের দিনে।-