One Last Good bye to this App !
I will definitely miss this platform.
Thanks for all your hard work Yourquote team.
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तुम भी इसी शहर में रहती हो
मैं हूं इक बदहवास सा लड़का
और तुम इतन... read more
उसकी आंखों पे शायरी नहीं करनी
जा तुझ से कोई बात ही नहीं करनी
करनी है बात तो हंस कर करा कर
बेवजह की ये संजीदगी नहीं करनी
मिलना हो तो कभी आराम से आ
ऐसे मुलाक़ात सरसरी नहीं करनी
तुम मुझसे बात ही क्यों करते हो
जब मुझ से कुछ बात ही नहीं करनी
उस का राज़ तुझ पे नहीं खोलूंगा
यूं किसी की मुख़बिरी नहीं करनी
मैं जो रूठूं तो माना ले ना मुझ को
मैंने कब कहा के बात ही नहीं करनी
तू मुझ से उकता गया है तो जा चल
ऐसे बेकार में दिल्लगी नही करनी— % &-
जो गिरा है गिरा रहे अब तो
बाज़ आएं हम उठाने से
कुछ दोस्ती तो ऐसी है
टूट जाए आज़माने से
कैसे बताऊं लज़्ज़त जो
है जीतने में हराने से
हमने क़िस्से को राज़ ही रक्खा
दर्द बढ़ता है सुनाने से
यूं ही नहीं मिले हमको
ज़ख्म आएं हैं कमाने से
दीवारों से टपकती वीरानी
यही हासिल घर सजाने से
है हक़ीक़त में ख़्वाब सब ही
मीर सोया है ज़माने से— % &-
तेरे सिवा तो कोई सवाल भी नहीं
मिल जाए तू अगर जो वबाल भी नहीं
रंग वो गया है मुझ को अपने ही रंग में
हाथों में उसके ना रंग गुलाल भी नहीं
उलफ़त है उस की समझो इस क़द्र के बस
हराम तो नही पै हलाल भी नहीं
उसके बदन पे खींचू कैसे मैं ज़ाविया
उसके बदन का मुझ को ख़्याल भी नहीं
उम्मीद से है मसला के डूब जाती है
और अफ़सुर्दगी का कोई ज़वाल भी नहीं
तुम को लगा जवाब मेरी उलझनों का तुम
मेरे क़रीब तुम तो सवाल भी नहीं— % &-
दुनिया वाले तो ये देख कर हैरत कर रहे हैं
के इस खराबे में भी हम मुहब्बत कर रहे हैं
एक हम हैं जो उनकी चाहत में घुले जाते हैं
एक वो है जो बिन बात ही नफ़रत कर रहे हैं
मुझ से कुछ और ही की उम्मीद करने वाले
ये क्या कम है के हम तेरी इज़्ज़त कर रहे हैं
जब मैं खुश हूं अपने हाल पे फिर ये क्योंकर
बेवजह चमन के फूल नसीहत कर रहे हैं
मैने कह दिया है जब के काम ये कर दूंगा
आप किस बात की इतनी उजलत कर रहे हैं
ये ग़ज़ल सराई ये लफ़्ज़ों के नाज़ुक जाले
मीर बस इनको बुनने की जुर्रत कर रहे हैं— % &-
बदनाम हो गया हूं जाने कहां नहीं
यानी तुम्हारी शोहरत कहां कहां नहीं
पूरा गली महल्ला रक़ीब बन फिरे
घुमा करो के अब तुम जहां तहां नहीं
क्या कर रहा हूं इस पल इस गली में मैं ?
कुछ काम था के जी वो यहां वहां नहीं !
इक बार वो मिले जो ख़लवत में और बस
चूमूंगा मैं तो उसको कहां कहां नहीं— % &-
दुनिया तो है जुआरी रे
खेले हैं हम भी पारी रे
संदल सी उसकी काया है
नारंजी उसकी सारी रे
नैनो में झील तैरें है
आंखें है ऐसी कारी रे
उसकी नज़र बुझव्वल को
समझा ना मैं अनारि रे
कैसे ही हो बयाँ उसका
वो है अनोखी नारी रे
बिछड़े ना मर्ग जीवन से
ग़ज़बे है इनकी यारी रे
ढोना ये जिस्म ए फ़ानी को
बहुते है बोझ भारी रे
हम जो नही है तो क्या है
खेला वही है जारी रे-
वक्त का ठिकाना है
वक्त को गंवाना है
तेरी ही ज़रूरत है
तुझको ही कमाना है
क़ातिल और बिस्मिल है
फिर वही फ़साना है
हां नही वही वो कब
कुछ नहीं बहाना है
रिश्ता एक टूटा है
उसको ही निभाना है
इक अजीब ज़िद ये है
खो गया जो पाना है
चीख़ता हूं क्यों कर मैं
शोर इक मचाना है
इस शहर से जाओ अब
ये शहर जलाना है
दुनिया तो नई है पर
आदमी पुराना है-
कोई ख़्याल बारहा ज़ेहन में आता है
फिर ढल कर वही सुख़न में आता है
पहले आता है अक़्ल-ओ-होश में फिर
रफ़्ता-रफ़्ता से पूरे बदन में आता है
शज्र-ए-मशक़्कत पे ज्यों फल आते हैं
टप से कोई पत्थर सेहन में आता है
जश्न-ए-सरापा है एक मैसिज उसका
जैसे कोई न्योता लगन में आता है
उसके दीदार से वहशत में है दिल मेरा
गोया कोई जंगल, हिरण में आता है
सादगी देखिए के तेरे इक बुलावे पर
तेरा बंदा है के कफ़न में आता है-
ज़रा देखा बहुत देखा उसे जब इक नज़र देखा
दवाओं की उमर देखी दुआओं का असर देखा
ذرا دیکھا بہت دیکھا اسے جب ایک نظر دیکھا
دوائوں کی عمر دیکھی دعائوں کا اثر دیکھا-