Minu Singh   (Teddy)
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Joined 2 February 2019


Joined 2 February 2019
28 JUL 2020 AT 23:45

बहुत दिनों बाद उसकी ख़्वाब आयी..
उम्मीद से परे वो आया था और
एक - दूसरे को पकड़ कर
जी भर कर रोया हमने
सारे गिले शिकवे बह गए
अश्कों के साथ....
उसके हाथ में कुछ तो था
जो उसने बरसों बाद मुझे दिया था..
अभी तो मैंने अपने हाथों की राखी
उसके कलाई पर बांधी भी नहीं थी कि....
आख़िर ख़्वाब था न टूटना तो था ही....
काश ये हक़ीक़त होता और
मैं तुम्हारा रास्ता देख रही होती
उस बचपन की तरह....

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23 MAR 2020 AT 20:40

तेरी मौजूदगी का ख़्याल
और तेरे आने का सवाल
दोनों बड़े पेचीदा है...
एक जाती नहीं और
एक आती नहीं।।🙄

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16 MAR 2020 AT 23:17

वो किसी की यादों में इस क़दर खो गए
कि वो तो भूल ही गए😢
कोई हर पल बस
उनकी यादों में ही जिए जा रहा है...😔

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2 JAN 2020 AT 23:04

Mera har zikr me tu..Or
Tere hr wajud me mai rhu..
Bs ek aakhri khwahish h ki...
Tera haq me mera haq ho..
Chahe mai rhu ya na rhu..☺

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18 DEC 2019 AT 19:32

Mai mere sath nhi hoti...
Jb mai tere sath hoti hu...।

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13 DEC 2019 AT 10:51

Chlo jane v do unhe do pal ki chahton ke pichhe..
Jo unhe parwah hi nhi to unki khusiyon ka fikr hm kb tk kre...

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2 DEC 2019 AT 19:30

ये जो टुकड़ों टुकड़ों में मिलते हो न तुम..
खुद तो अधूरे रहते ही हो,
मुझे भी पूरा नहीं करते हो तुम
चलो ठीक है कोई जवाब मत दो,
माना की हमसे जुड़ नहीं पाते,
तो क्यूँ न हमसे अनजान बन जाते
जब जब तुम्हें ख्वाब बनाता
हमेशा हकीकत बन जाते हो तुम
ये जो टुकड़ों टुकड़ों में मिलते हो न तुम..
खुद तो अधूरे रहते ही हो,
मुझे भी पूरा नहीं करते हो तुम...

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30 NOV 2019 AT 16:53

यही तो है अपनी पहली मोहब्बत....
और इश्क़ कभी बुरी नहीं हो सकती😍

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29 NOV 2019 AT 18:41

वो दोस्ताना💖💖

याद आ रहा है वो वक़्त
वो शाम के चाय की मंडली
जहाँ चाय तो बस दो चुस्की होती थी
पर जमवाड़ा सबका और बातें सारे जहाँ की..
उस कंपकपाती ठंड में जब रजाई से निकलना मुश्किल होता था...
वो इश्क़ कुल्हड़ के चाय का बुला ही लेता था अपने पास
चाय तो यहाँ भी है और कुल्हड़ भी
पर बात वो नहीं....
क्योंकि नहीं है यहाँ वो दोस्ताना🙁🙁

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27 NOV 2019 AT 17:47

बचपन में टूटे थे जो ख्वाब,
जवानी के सपने देखना छोड़ दिया हमने।
सज़ा जो मिली हमें इंतज़ार का,
बारिशों का ख्वाहिश छोड़ दिया हमने।
तेरा गुजरना न होता है जो गलियों से,
झरोखों पर आना छोड़ दिया हमने।
हसरतों के तले दब गयी जो मोहब्बत,
इश्क़ पर यकीं करना छोड़ दिया हमने।।

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