ऐसा कोई जगह नहीं
जहाँ मैंने तुम्हें ढूँढा नहीं
मेरी तलाश मुझे
शहर से गाँव ले आयी।
@tumharashahar— % &-
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Co-author- मखमली ख़्वाब, अनंत... read more
रिश्ते बनाते-बनाते
कब वो सबसे दूर हो गया
पता ही नही चला
लोग जुड़े लेकिन उस उम्मीद से नहीं
जिनसे मिलना चाहा, जिनसे पता पूछा
हर किसी ने मना कर दिया
अब वो करता भी क्या
इंतजार के सिवाय।— % &-
ऐसे मुस्कुराते चेहरे जब उदास होती है तब
वो अपने साथ न जाने कितनों को उदास करती हैं।— % &-
रंग भंग
जीवन के संग-संग
उथल-पुथल
जिधर चल उधर-उधर
अहम-अहंकार से दूर
जमीनी स्तर पर उतर
ख्वाब बुन
कर संघर्ष कस कमर-कमर।
@tumharashahar — % &-
आवारा मन, आवारा लड़का का कोई शहर नही होता
कुछ धुन, कोई छंद, अल्फ़ाज़ होते है इनके
जिससे कर देते है साजो-श्रृंगार काल्पनिक रूप में स्त्रियो की
साक्षात दर्शन पाते ही हो जाते है मंत्रमुग्ध
साध लेते है चुप्पी और एकटक निहारते रहते हैं।
@tumharashahar — % &-
सुना है
तुम आज भी नफरत करती हो मुझसे
कही फिर से इश्क़ का इरादा तो नहीं-
कण-कण से बनता जन-मन,
ध्वनि-तरंग गगन,
मिट्टी से बनती मूरत ,
करती सबको मगन,
पीड़ा से मिली किलकारी ,
संघर्ष को फतह कर मिली जिम्मेदारी,
लड़खड़ा कर चलती उम्र में
मिली राख मिट्टी नदी तल में।
@tumharashahar-
वो तब भी मुस्कुराता था
और अब भी मुस्कुराता हैं
तुम्हारे जाने से
उसे नुकसान नहीं हुआ
ये बात सिर्फ जमाना जानता हैं
तुम्हें इस बात की खबर हैं या नहीं।
@tumharashahar-
मुझे आज़ाद कर दो
बहते धारो से
साँसों से
बंधन से
कलम से
कोरे कागज से
मुझे मिल जाने दो
लाल,दोमट,भूरी,काली मिट्टी में।
@tumharashahar-