3 AUG 2017 AT 22:17

कोई चिंगारी दबी है मेरे सीने में गहरे
कोई तिरंगा में लिपटा लाल आता है
और सोया हुआ लावा भड़का जाता है
कि मेरे माटी का रंग भी लाल है यारों
जरा कुरुक्षेत्र की रणभूमि को तो देखो
जहां गीता का श्लोक जीवित हो जाता है
भारतवंशी इतिहास रहा है रणबांकुरों का
इतिहास का पन्ना यशगान जिसका गाता है
जहां प्रदुर्भावित वो अभिमन्यु सा वीर हुआ
जहां मृत्यु शैया पर वो भीष्म सा धीर हुआ
भारत है भूमि जहां भरत सिंह शावक को
थाम बाहुओं में अचरज भरे खेल खेलाता है
मेरे भारत की धूलि ना पाने पाये कोई और
मार दहशतगर्द को अपना धर्म निभाता है
कुछ तो बात है यारों इस जमीं की मिट्टी में
2 गज़ ज़मीं की लालच में मरने आततायी
सीमा पार से सम्मोहित खिंचा चला आता है

- मिनाक्षी -एहसासनामा