वो दर्द की रात बड़ी भारी थीखाली था पेट और सर पर बारिश दोधारी थीकहाँ जाता वो बचपन रेंग कर , उम्र से बड़ी उसकी जिम्मेदारी थी - मिनाक्षी -एहसासनामा
वो दर्द की रात बड़ी भारी थीखाली था पेट और सर पर बारिश दोधारी थीकहाँ जाता वो बचपन रेंग कर , उम्र से बड़ी उसकी जिम्मेदारी थी
- मिनाक्षी -एहसासनामा