शायद कभी ना कह सकूं मैं तुमको,
आँखों से सब समझलों तुम शायद।
शायद अपने ख्यालों में तुम एक दिन,
हमारे रास्ते एक ही पाओ शायद।।
जो तुम ना हो रहेंगे हम नहीं।
मन्नतों में माँगा तुमको ही।
ना चाहिए कुछ तुमसे ज्यादा तुमसे कम नहीं।।
आँखों का तुम्हें ढूँढना,
मन ही मन बात करना,
मेरा हर बार शर्माना तुम्हें देख के।।
तुम्हारे ख्यालों में खोना,
तुम्हारी और ही जाना,
जिक्र तुम्हारा करना हर बात में।।
माना मंजिल सबको मुकम्मल नहीं।
ये कोशिशें पर होगी कम नहीं।
ना चाहिए कुछ तुमसे ज्यादा तुमसे कम नहीं।।-
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बड़े अच्छे लगते हैं
ये धरती,
ये नदियां,
ये रैना
और तुम।।
हम तुम रहते, साथ जब रहते
गिनाते थे रात सितारे।
पल भर का साथ, रहता है मगर
यादें नई बनाते।
मुझे दीवानी कहते हैं
ये धरती,
ये नदियां,
ये रैना
और तुम।।-
कौन तुझे यूँ प्यार करेगा जैसा मैं करती हूँ?
देखा है जबसे तुम्हें,
होने लगी बावरी।
हाथो में हाथ डाल चले,
ख्वाहिश है अब आखिरी।।
तुम्हें देख खिल जाऊ।
रूठो जो तुम मैं मनाऊं।
ख्वाबों ख्यालो में भी तुमको पाउ।।
जिस दिन तुमको ना देखु,
पागल पागल फिरती हू।
कौन तुझे यूँ प्यार करेगा जैसा मैं करती हूँ?-
sir dard se chakra jaye 😵
jab datesheet samne aaye 😰
practicals file ke niche hum dabb jaye 🤯
bhagwan hume bachaye 🥺-
ज़रा झरोखे से देख तो लूं।
दिलभर के तुम्हारा दीदार कर तो लूं।
प्यार पुराना हैं ज़रूर थोड़ा,
थोड़ा प्यार तुम पर लूटा तो लूं।
रूप ऐसा की प्रकृति खिल जाए
इस रूप को ज़रा निहार तो लूं
कही नज़र ना किसी की लगे तुम्हे
नज़रों से नज़रे उतार तो लूं।।
ज़रा झरोखें से निहार तो लूं।-
देखा हैं एक रूप ऐसा
सूरज की पहली किरण सा एहसास जिसका।
चांदी सा रूप , और स्वर्ण सी तेजवान वो
नदी जितना शांत स्वभाव उसका।।
•सागर से गहरे ख़्याल उसके,
आकाश सा ख़्वाब उसका।
रूठे कभी तो लगे मुरझा गए सावन के फूल जैसे,
उसकी मुस्कुराहट पर तो सारा संसार खिलता।।-
• देखा हैं एक रूप ऐसा
सूरज की पहली किरण सा एहसास जिसका।
चांदी सा रूप , और स्वर्ण सी तेजवान वो
नदी जितना शांत स्वभाव उसका।।
•सागर से गहरे ख़्याल उसके,
आकाश सा ख़्वाब उसका।
रूठे कभी तो लगे मुरझा गए सावन के फूल जैसे,
उसकी मुस्कुराहट पर तो सारा संसार खिलता।।
•लहराते काले केश घने उसके
छाई रहती गालों पर लाली।
पंखुड़ी से प्यारे होठ उसके
आवाज़ जैसे कोयल की वाणी।।
•सजाकर अपने नैनों में काजल
चांद की वो नज़र उतारती।
होठों पर लगाकर लाली,
सांझ की रौनक बड़ती।।
•झुमकों का गीत नया,
बिंदिया उसमे स्वर मिलती।
छनकती चूड़ियों की ताल जो वो ,
पायल छनकाकर चिड़ियों संग राग बनाती।।
•दुपट्टा एक तरफ ही डालती
हर रंग में वो खिल जाती।
रात की चांदनी, सुबह की चेतना हैं वो,
तारीफ़ ये है कम, तुम लब्ज़ो में समाई नहीं।।
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सजना सवरना तो अच्छा लगता है पर,
अब थोड़ा ज्यादा ध्यान देने लगी।
पहले तो सिर्फ़ सांस लेती थी,
अब हर पल जीने लगी।।-
पहले तो कलम उठाते ही नींद आती थी, अब कलम ही मेरी आवाज़ बन गई।
अनकही बातें बहुत सी है, अब सभी अनकही बाते स्याही से रंग दी।।-
चाँद तो खूबसूरत है पर
तुम्हारी मौजूदगी प्रतिपदा को पूनम की चांदनी बनाती।
जगमगाते तारें देते सुकून मुझे पर,
तुम साथ हो तो लगता जैसा की अंबर से तारा तोड़ लाई।।-