टूट कर चाहा था जिसे मैंने उसे ही मेरे टूटने की आवाज़ तक ना आई, जिसकी एक मुस्कान के लिए मैंने अपना हर ज़ख़्म हर पीड़ा थी छुपाई, आज जाते जाते वो कह ही गया मैंने तो ये सब करने के लिए कभी नहीं था कहा...
लकीरों में आगे लिखा रोना था। तुझे पाया जब मानो जहां पा लिया था मगर अब वो सब खोना था। मैनें प्यार की मूरत समझा जिसे उसके लिए मेरा दिल बस खिलौना था। बेवफ़ा से दिल लगा जो बैठे थे ये सब तो आखिरकार होना था।।