महर्षि सदाफलदेव जी महाराज  
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Joined 30 August 2019


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माता-पिता का यह धर्म है
कि अपने बालको को उच्च विद्वान,
ज्ञानवान व श्रीमान् धर्मात्मा होंने का
प्रयत्न सदैव किया करें।

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माता-पिता को यह अति आवश्यक है
कि बालक को अच्छा सदाचारी,
धर्मात्मा, देश तथा प्रभु-भक्त
अध्यापक के हाथ में अर्पण करें
अन्यथा दुर्व्यसनी, नीच अध्यापक
के हाथ में बालक को देकर,
बालक के उत्तम जीवन को
नष्ट न करें।

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माता-पिता को भी यह
आवश्यक है कि नित्य
ही बालक की चाल-चलन की
परीक्षा करते रहें और
सदाचार, कुलाचार, व्यवहार
तथा देशी सभ्यता की शिक्षा
सदैव देते रहें।

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जिस देश की भाषा,
भेष, भाव, इतिहास तथा
स्वदेशी ब्यापार जब मिट जाते हैं
तब वह देश अवश्य पराधीन
हो जाता है।।

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🙏प्यारे बालक तथा बलिकाओं🙏
तुम्हारे जीवन का प्राण, बल,
वीर्य्य का मूल श्रोत आदर्श
चरित्र बनाने वाले भारत का
उत्तम रत्न "गौ" है।
"गौ" की सेवा और रक्षा
करना तुम्हारा परम धर्म है।
तुम्हें गौ रक्षा अवश्यमेव
करनी चाहिए।।

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पैसा लेकर वा अज्ञानता से ईश्वर धर्म के विरूद्ध अर्थात् नास्तिकता का जो प्रचार करते है, वे नीच, महापापी है और वे राष्ट्र व संसार के परम शत्रु है।।

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मन और इंद्रियाँ तुम्हारे परम शत्रु है, इनका सदैव निग्रह करते रहो। कभी भूलकर भी इनके चंगुल में न फँसो, नहीं तो तुम्हारे जीवन को ये नष्ट कर डालेंगे।।

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कुछ समय तक एकांत मे एकाकी बैठकर सूक्ष्म-सूक्ष्म विषयों को लेकर विवेचन नित्य नियम से किया करें। बुद्धि बढ़ने का यह उत्तम साधन है। यह बुद्धि का व्यायाम है।।

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हम भारतीय है ━
यह गर्व तुम अपने हृदय में दृढ़ करलो।
युद्ध-कला सम्बंधी सभी तरह के अस्त्र-शस्त्रों को चलाना सीखों। अपनी तथा देश की रक्षा आप ही करो।।

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ऐ माता के पुत्रों!
तुम बुद्धि को ऐसा बलवान बनाओं कि अनेकों कठिन-से-कठिन कार्य एक साथ तुम कर सको और न थको।

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