მῆυρმო   (शब्द रचना🦚)
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“𝚃𝚘𝚖𝚘𝚛𝚛𝚘𝚠 𝚒𝚜 𝚗𝚘𝚠.”
Joined 28 August 2021


“𝚃𝚘𝚖𝚘𝚛𝚛𝚘𝚠 𝚒𝚜 𝚗𝚘𝚠.”
Joined 28 August 2021
51 MINUTES AGO

कैसे भूले तुम मेरा शहर,
जिसमें तेरा आना नसीब
सब अजनबी मेरे सामने
तुम रहे हमेशा से करीब।

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आगे की करना है तैयारी।
स्वयं को बोझ मुक्त करके
खुशी देने में है साझेदारी।

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यही मूल मंत्र चरितार्थ करो।
कोई ठेस कभी ना छू पाएगा
इतना इसका अभ्यास करो।

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यादों की एक पोटली सही, साथ में तुम लेकर आना।
प्रेम से उसे समेट कर हाथ, दिल पर उसे रख सजाना

नाम मेरा ऊपर लिख कर, हाथों से अपने सहला लेना
रंग उमंग साथ लेकर फिर, हाथ बढ़ा यूं मुझे तुम देना।

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ज़रा कहीं तू देख ले
नजरों का मेरे झुकना
इश्क़ है और रहेगा तुमसे
बात साफ लफ्जों से कहना।

अरे! समझे नहीं मन से
दिल का मेरे क्या हाल है?
ये एक तरफा आशिकी मेरी
क्या तुम्हारा वही सवाल है?

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भरोसा जब कर लिया उसने
फिर नाम की कैसी सच्चाई?
सफ़र वाले वाले भटकते रहें
मंज़िल उन्हें ना देती दिखाई।

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यादों की बारिश में जब भींगे, याद प्यार की तुझे तो आयेगी।
करीब थे जो दिल से हमेशा, बात आंखों से छलक जाएगी।

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कब तक नाराज़ रहना
बातें खुद के अंदर छुपी
आज तो मुझसे कहना
कुछ दिल की कहो
कब तक साथ तन्हाई?
सन्नाटे को कसूर नहीं
हमारे बीच थी लड़ाई।
राज़ को सबसे कह दो
क्या अंदर अब छिपाना
जाहिर था इश्क़ मुझसे
गुजरा हुआ वो ज़माना।

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एक ही उम्मीद है टूटी
यही सोचकर आते हैं।
अनगिनत एहसास मेरे
आइने को समझाते हैं।

क्यों जाना हुआ बोलते
राज़ ऐसा क्या छुपाया?
शहर अपना था हमारा
अजनबी तुमने बनाया।

अब झूठी मुस्कान रख,
आइने से नजर मिलाया
यही देखने ही सामने से
कहां से याद तू है आया

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शब्दों को इंतज़ार में संजोया है।
मुस्कुराता चेहरा लिए खड़े रहेंगे
मन जानता है दिल मेरा रोया है।

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