मैने जब भी मोहब्बत का "बजट"पेश किया,
उसने "विपक्ष "की तरह हमेशा आलोचना ही की।।-
राजनीति इस कदर जनता पे अहसान करती है,
पहले आँखे छीन लेती है फिर चश्में दान करती है...!-
सितम करोगे बवाल होगा,
यकीं करो फिर सवाल होगा!!
कभी हमारे न हो सके ग़र,
ज़रूर मन में मलाल होगा!!-
रूहानी इश्क़ होता हैं
जब जिस्म की प्यास नहीं होती
हवा का रंग नहीं होता
इश्क़ की जात नहीं होती।।-
कोई तो बहाना दो खुद को मेरे पास आने का ,
कोई तो इरादा तो दिल को मुझ से लगाने का ,
भले कुछ सितम ही कर दो मुझे तुम वफा ना दो ,
मेरे दिल के टुकड़े टुकड़े सौ सौ दफा कर दो...
मेरी आंखें तेरी नजर चाहती है,
यह सांसे भी मेरी तेरी फिकर चाहती है ,
तू दिल की तमन्ना में कुछ बसें इस तरह से है ,
की धड़कनें भी मेरी तेरा जिकर चाहती है .....
सुनो ना सुनो तुम मुझको मैं ही तुमको सुन लूंगी ,
मांगो की मन में रब से मैं वह सब तुम्हें दूंगी ,
कभी जान लो तुम मेरी दिली आरजू को ,
मेरी आरजू भी तेरी हंसी चाहती है...
बड़ी हसरतों से मैंने तुम्हें रब से मांगा है,
दूर कभी ना हो तुमसे यही तो बस चाहा है ,
कि मेरे रूह मुझे मुझसे तुम्हें चाहती है,
तेरी हर खुशी में मेरी खुशी चाहती है ....
मेरे प्यार को जो भी तुम कभी जान पाओगे ,
यकीन से कहती हूँ तुम गले से लगा लोगे,
कि मेरी जान तुमसे बस यही चाहती हूँ,
कभी मानो मुझे तुम अपना यही चाहती हूँ...@मेरी रचनाएँ-
करता हूं जब बात मैं तुमसे,
मिलता है मेरे दिल को सुकून!
जब से हुई मुलाकात है तुमसे,
दिल में मेरे बस गई है तू!
आंखों में मेरी नूर है तुमसे,
तुझे देखे बिना नहीं मिलता सुकून!
होंठों पे मेरे मुस्कान है तुमसे,
लफ़्ज़ों में मेरे बस तू ही तू!
अब कैसे करूं इज़हार मैं तुमसे,
बिना कहे ना मुझको मिलता सुकून!
मेरी कलम है कहना चाहती तुमसे,
मेरे दिल में बसी मेरी जान है तू!!-
बुझ चली जो आग वो फिर आग जलनी चाहिए,
ये ज़वानी आग बन फिर तो मचलनी चाहिए!!
आग सीने में लगी उस आग का हम यूं करें,
दुश्मनों को दे मिटा ख्वाहिश मचलनी चाहिए!!-