क्यों भेदभाव होता है, जब लड़की पीरियड्स से जाती
कभी मंदिर - कभी रसोई से, दूर बैठाई जाती है।
छुआछूत की दीवारे भी ऊँची उठ जाती है,
और औरत का सम्मान क्यूँ हमेशा घटाती है
भेदभाव का एक नया नज़रिया ये सबको बतलाती है।
मानता हुँ समाज की मानसिकता थोड़ी ओछी है,
पर पीरियड्स प्राकृतिक है,शरीर की संरचना का एक हिस्सा है
पीरियड्स होना अच्छा है.......।
औरत ही जगत जननी है,इससे आगे बढ़े पूरा संसार है।
न समझ सकूँ दर्द तुम्हारा, तो मुझ पर धिकार है,
पीरियड्स का दर्द शायद मैं न लिख पाऊँगा पर इतना लिखना चाहता हुँ
तेरे दर्द से मुझे तकलीफ होती है,क्यूंकि मैं एक बेटा हुँ , भाई हुँ , दोस्त हुँ.
हमेशा अपना हर फ़र्ज़ निभाऊंगा,बेशक तकलीफ तुम्हारी हो,
मैं हमेशा साथ निभाऊंगा...।
मत छुपा दर्द को अपने, शर्म से तू नाता तोड़,
नेचुरल है पीरियड्स हँस के अब सब से बोल....।
हँस के सब से बोल.....।।
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