नकारात्मक बातें करने के बाद “रेखा” ने राजनीति में सकारात्मक “रेखा” खींच अपने बड़प्पन का परिचय दिया है!
काश यह बदलाव सब में होता!-
“तलाक़” तीन शब्द से बना है लेकिन अंतिम के दो शब्द “त लाक” का मतलब अगर मनुष्य जीवन में समझ ले तो वह दो परिवारों को बिखरने, और रिश्तों को टूटने तथा अगर बच्चे हैं तो उन्हें समाज के अनगिनत सवालों का शिकार होने से बचा सकता है!
लेकिन सभी मौन हैं “जाति” और “धर्म” से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण विषय पर! पारिवारिक न्यायालय की अदालतों की गिनती बढ़ती जा रही है! इस महत्वपूर्ण रिश्तों को कलंकित करने वालो की संख्या में रोज इज़ाफ़ा हो रहा है और बेशर्म लोग अपनों की गलती देने की बजाय दूसरे पक्ष की बखिया उधेड़ने में लगे हैं! संसद व विधानसभा में बैठे लोग चुप्पी साधे हैं और यह समस्या कैंसर से भी तेज़ी से फैल रही है! हम आज़ादी का अमृत महोत्सव तो मनाए खूब पर परिवार ना रहेगा, यह अनमोल रिश्ता ना रहेगा तो फिर कैसा महोत्सव किसके लिए!
तलाक़ के क़रीब आप जा रहे हैं तो वह त लाक भी आपको इंगित कर रहा है। इसके महत्व को समझिए कोशिश करिए की ऐसी अशुभ घड़ी किसी की ना आए! तलाक़ के बाद भी लोग घुट कर जी रहे हैं! फिर तलाक़ से क्या फ़ायदा!
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इश्क़, मोहब्बत, अनुराग, प्रेम, सब एक ही पहलू है,
हर शब्द में जब तुम्हें सोचता हूँ तो, अलग सी लगती हो।
यह मेरी दीवानगी है, या भर रहे जख्मों का सुकून है,
या जुनून है, तेरा हो जाने का, तुम में खो जाने का।
दूर होकर भी तेरे पास होता हूँ, मैं इस कदर रहता हूँ,
मुहब्बत सीखी है, बस उसी में रमता रहता हूँ,
मैं इश्क़ की चाह रख, बस प्रेम को पूजता हूँ ।-
कितना लिखूँ तुम्हारे बारे में, लिखने लगूँ तो पूरी किताब हो जाए,
सच में उड़ेल दूँ अगर इश्क़ अपना, तो पूरी कायनात हो जाए ।-
काश !
समझ पाता कोई
मेरे मन की बात,
मन में मेरे ऊँची उड़ान का
देख पाता कोई मेरा छलांग,
मज़बूत इरादों की बदौलत
बढ़ रहा हूँ, धीरे-धीरे
अपनी मंजिल की ओर,
तय है, मिलेगा, जुनून है,
है मेरा यह विश्वास…-
बिहार के Live Cities चैनल के वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर जी ने एक डीबेट के दौरान क्या ज़बरदस्त बात कही है। उन्होंने कहा “शिक्षा का आडिट होना चाहिये” हम क्या पढ़ा रहे, पढ़ाई के बाद छात्रों को क्या मिल रहा है।
क्या ज़बरदस्त बात कही है ज्ञानेश्वर जी आपने। इससे न सिर्फ़ शिक्षा में सुधार होगा, बल्कि जिस शिक्षा से कोई फ़ायदा न हो उसे बंद भी किया जा सकता है! शिक्षा सिर्फ़ व्यवसाय होता जा रहा है। शिक्षा के लिए सही विषय और सही वक्त पर समाज में आपने छोड़ा है। हम अपने घोसी के सांसद राजीव राय जी से निवेदन कर रहे हैं कि वे इस विषय को गम्भीरता से देश की संसद में उठाएं।
सैल्यूट आपको-
ट्रंप तुम्हारे राज का बिल्कुल नहीं है साज
धूल धूसरित कर दिया, तूने अपने सिर का ताज
मित्र नाम का गला घोट, किया रिश्ता तार-तार
व्हाइट हाऊस अब बचा नहीं, ऐसा किया ब्लैक वार
माफ नहीं करेगा भारत, यह बात याद तुम रखना
टूटेगा घमंड तुम्हारा, यह बात लिख तुम रखना…
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(हाय रे लफ्फाजी)
लफ्फाजी से वोट मिलेगा,
लफ्फाजी से सरकार चलेगा।
लफ्फाजी से जनता को,
सियासत समझाई जाएगी।
लफ्फाजी से विकास की बातें,
लफ्फाजी से कानून की बातें,
लफ्फाजी से राजनीति की,
नीति निर्धारण की जायेगी।
लफ्फाजी से वोट मिलेगा,
लफ्फाजी से नेता चुनेगा।
लफ्फाजी से जनता की,
अब नब्ज टटोली जायेगी।-
भरोसा रख भगवान पर, सब कुछ अच्छा हो जाएगा,
कुछ ख़राब हैं दुनिया में,तो कोई अच्छा मिल जाएगा।
जैसा है तू बिल्कुल वैसा ही, मिल जाएगा एक दिन,
उसका हिसाब अनोखा है, वह कुछ भी ना भूल पाएगा।-