Meri dairy ki Shayri  
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Meri dairy ki shayari self written by Mahi
Joined 7 July 2025


Meri dairy ki shayari self written by Mahi
Joined 7 July 2025

जिसकी जंग उसके ख़ुद के
अन्दर चल रहीं होतीं है,

उसकी ज़ुबाँ अक्सर ख़ामोश
रहा करती हैं।
MAHI 497 WRITES.

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YESTERDAY AT 0:42

चेहरे पर ख़ामोशी रखने
वाले के अंदर
हमेशा एक तूफ़ान चलता है।

Mahi 497 writes.

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8 JUL AT 23:00

जो वादे किए थे हमने
साथ चलने के
साथ निभाने के
साथ रहने के
शायद ख़ुदा को भी अब मेरे साथ
की ज़रूरत पड़ रहीं हैं।
मगर मेरी वफा हमेशा तुम्हारे
लिए ही थी
और हमेशा हमेशा तुम्हारे
लिए ही रहेगी।

MAHI 497 WRITES.

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7 JUL AT 23:16

मैं आसमान के परिंदो की तरह हर
खयालों से आज़ाद थी वो
मुझे अपनी ज़मी में ला कर अपने
ख्यालों में क़ैद कर लिया,
और मुझे खाक में मिला के उसी
ज़मी में अपने हाथों दफना दियाl

MAHI 497 written.

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