मेरे नज़्म   (TJ❤️)
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Joined 7 December 2019


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10 SEP 2021 AT 18:55

तेरे चेहरे की नुमाइश क्या करूँ
लिख़ने बैठूँ तो स्याही भी कम पड़ जाए

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28 MAY 2020 AT 9:17

"एक स्त्री का सवाल"

क्यों ये लाल रंग आता है...?
क्यों ये चादर पे निशान दे जाता है...?
क्यों मुझे ही रोना पड़ता है...?
क्यों मुझे ही सहना पड़ता है...?

क्यों मैं अपवित्र हो जाती हूँ...?
क्यों मैं अपशगुनी कहलाती हूँ...?
क्यों शरीर में सुस्ती भर जाती है...?
क्यों अंताड़ियाँ दर्द से चीखती है...?

क्यों अपने ही घर में अलग-थलग रहना...?
क्यों ये ना छूना वो ना छूना...?
क्यों ये सैनिट्री पैड का इस्तेमाल करना...?
क्यों मन्दिर में प्रवेश ना पाना...?

क्यों मेरा ही मज़ाक बनता है...?
क्यों मुझे ही दोषी ठहराया जाता है...?
क्यों इस लाल रंग से इतना घृणा...?
जबकि इसी रंग ने संसार को जन्म दिया...?

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5 APR 2020 AT 8:40

"दर्द"

ये ज़िन्दगी का दर्द है, ये आशिक़ी का दर्द है।
ये दिलकसी का दर्द है, ये दिल्लगी का दर्द है।

इस दर्द को मै सह रहा, इस दर्द को मै पी रहा।
इस दर्द में मै जी रहा, इस दर्द में मै मर रहा।

ये दर्द बेजुबान है, ये दर्द बेनिशान है।
ये दर्द बेआवाज है, ये दर्द बेहिसाब है।

ये आँशुओं का बहना, ये रातों का जागना।
ये दिलों का टूटना, ये साथ तेरा छूटना।

इस दर्द का ना कोई धर्म, इस दर्द में ना कोई भ्रम।
इस दर्द से ना कोई बच सका, इस दर्द ने सबको जकड़ रखा।

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29 AUG 2021 AT 17:28

Reels और Status के इस दौर में अल्फ़ाज़ लिख रहा हूँ
Likes और Comments ना सही जज़्बात भेज रहा हूँ
Emojis और Hashtags का पता नहीं इसीलिये अफ़साने बुन रहा हूँ
और 'इज़हार-ए-मोहब्बत' के बारे में क्या कहें
Online ना सही Offline ही ख़ुशबू में रंगों को भर रहा हूँ

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22 AUG 2021 AT 18:35

"मुश्किलात-ए-ज़िन्दगी"

दुखों की ये बदरी छटती क्यों नहीं
ख़ुशियों की बारिश होती क्यों नहीं
क्यों रहता है हर वक्त ये बंजर सा आलम
ज़िन्दगी जल्द से जल्द खत्म होती क्यों नहीं

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7 AUG 2021 AT 10:41

मेरे सब्र की गहराईयों को मत मापो
समंदर की बूंदों को गिन नहीं पाओगे

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31 JUL 2021 AT 17:33

क्यों कहते हो बोझ मुझे, मैं भी तो इंसान हूँ
पराया धन कहते हो मुझे, क्या मैं नहीं तुम्हारी संतान हूँ

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26 JUL 2021 AT 10:28

'प्रेम का रसायन' कहाँ क़िसी को समझ आता है
ख़ैर उनकी छोड़िये
हमें तो उनकी लाल बिंदी पे भी प्यार आता है

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17 SEP 2020 AT 8:52

बेरहम थीं ख़्वाहिशें, बेरहम थें अरमान
जरा सा रहम कर देते, तो हम फ़ना ना हो जाते

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8 SEP 2020 AT 19:46

ये चश्मा है ज़नाब
इसे पहनने से दूर की चीज़ भी पास आ जाती है
और कभी-कभी पास की चीज़ भी काफ़ी दूर चली जाती है
-TJ❤️










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