न होती जो ज़िंदगी में "शब" मेरे मौला
तो "सुबह" का "क़द्रदान" कौन होता-
we don't cry. We bleed on paper".my true inspiration is MIRZA GALIB... read more
वो बहके से क़दम वो सुर्ख़ आंखें वो बिखरे हुए "गेसू"
बयां कर गये दास्तां मेरी तबाही-ए-इश्क़ की-
यूं तो निभा जाएं हर रिश्ता दिल से मगर..
ज़रा सी चूक ऐतबार की, ज़ख़्म नया दे जाती है-
गिर-गिर के संभले हैं आज भी बमुश्किल हम....
कज-अक़्ल बेताब हैं ताना-ए-नाकामी के लिए
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हुई पेश मिसालें जो फ़रेब की, तसव्वुर उनका आया
ख़ुदग़र्ज़ी, ख़ुदमुख़्तारी में उन्हें सबसे आला जो पाया
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टूटने लगे हैं ख़्वाब आहिस्ता-आहिस्ता
हाय! बेकसी का आलम हुआ ला-जवाल
_musharrat
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हो जाए जो, हर इक से मुतास्सिर...
वो शख़्स फिर क़ाबिल-ए-एतमाद कहां
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चंद सांसों का रिश्ता है तुझसे ऐ ज़िंदगी
सिवाए इसके, और कुछ भी तो नहीं...-
अगर तुम्हें यक़ीन हो जाये के तुम्हारा रिज़्क़ ☝️ اللّٰه के पास है तो फ़िर तुम,
रिज़्क़ की नहीं ☝️ اللّٰه की तलाश करोगे जिसके पास तुम्हारा रिज़्क़ है
अज्ञात-