Men With Pen   (menwithpen✍️)
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✌I'm in a relationship with Pen & Paper !!✌
Joined 18 April 2019


✌I'm in a relationship with Pen & Paper !!✌
Joined 18 April 2019
8 MAR 2020 AT 17:16

मेरी और चाय की रिश्ता कुछ
इस तरह की हैं,
ज़माना जलती रही,
और चाय इस पे उबलती रही ।।

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26 FEB 2020 AT 23:06

ज़िन्दगी यूहीं कुछ इस
तरह फिरते चली हैं ।।
आग लगाई खुदको मैंने पर राख
भी फूल सा खिलते चली हैं ।।

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15 FEB 2020 AT 22:04

आपके बातों को वो
नजर अंदाज़ किया करेंगे ।।
जब तक बात उन पे नहीं आती वो
अपने ही अंदाज़ से जिया करेंगे ।

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4 FEB 2020 AT 21:07

वक़्त रहते ही पहचान लो कौन
अपना हैं और कौन अनजान ।
मय्यात में तो पराए
भी आंसू बहाते हैं ।।

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11 JAN 2020 AT 22:38

अगर हसना भी इतना मुश्किल है
तो फिर जिंदगी कहा आसान हैं ।।
अगर दुनिया चल रही सही में ठीक,
तो फिर मरते क्यों रोज़ इतने किसान हैं ।।

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6 JAN 2020 AT 20:03

मैं दुनिया को आजमाकर
उसमे तुम्हे धुंड रहा था ।।
मैं चांद को अकेले छोड़
सितारों को देख रहा था ।।

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18 DEC 2019 AT 19:39

इन खयालों को अब मैं क्या साझा दूं
नींद में भी वह तेरे नाम लेके चले है ।।
यह इश्क़ तो बेजुबान सी लगती है
मगर होंठ भी अब बदनाम करने चले हैं ।।

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3 DEC 2019 AT 23:01

वो रूप का भगवान है ।
पर नाम से इनसान है ।
कड़क धूप हो या बरसे ठंड
पर जीता जागता वहीं बेजान हैं ।
हां, वहीं बेचारा किसान हैं ।।

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27 NOV 2019 AT 8:46

तुम मुझे देख और मैं तुम्हे देख रहा था ।
मैं भी खुदको तुम्हारे नज़रों से नाप रहा था ।।
बेवक्त ने तो वक़्त को भी तबाह कर दिया है,
कहा जाऊ मैं भी खुदको तुम्हारे बाहों में रोक रहा था ।।

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15 NOV 2019 AT 11:17

इस कदर मैं डूबा हूं तेरे इश्क़ में,
ना अम्बर भी अब नीला दिखाई देता है ।
ना सूरज भी अब मुझे नजर आता है ।
कैसी कमाल कर दिया है यह तूने अब
मेरे दिल के धड़कन भी मुझे सुनाई देते हैं ।

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