क्यू ढूंढू मैं तुझे पल भर के इन लम्हों में
बंद आंखों में भी मुझे तू नजर आती है
शोर समुंदर का पसंद है हमें पर
शांत किनारों पे मुझे तू नजर आती है
बुरा कहु तो किसे कहु फर्क न अब ये जान सकु
देखु जिधर जिधर मुजे हर सख्स में तू नज़र आती है
अक्सर राते ढल जाती है उस आसमान को ही देख कर
शुक्र है अब चांदनी में भी मुजे तू ही नज़र आती है
बढ़ते बढ़ते कुछ इतना बढ़ा तेरा इश्क़ मेरी निगाहों में
देखु में अगर खुदको भी मुजे तू ही नज़र आती है।-
Jay maharana...
Jay rajputana...
उस हसीन की निगाहे जहा जहा पड़ी
कही बर्फ तो कही ठंडी हवाए चल पड़ी
जल रहा था जमाना इश्क़ की आग में जाने कबसे
वो महज गुजरा जहा पे बारिशें चल पड़ी
कदम कदम पर कैद हुए गम सारे आवाम के
सर उठाया उसने और नमाज़े चल पड़ी
गलती से क्या पैर रखा उसने लकीर-ए-सरहद पर
मदहोश हुई रियासते और जंग चल पड़ी।
रस्ता थोड़ा खराब था पर शिकायत कभी हुई नही
ठोकर ना लगे उनको ये दुआए चल पड़ी।
देखा उसे जिसने भी ख़ुशनसीब समझ बैठा
हवाओ ने क्या छुआ उसे मुर्दो की सांसे चल पड़ी।
इल्जामात लगे आफ़ताब पर की थोड़ी गर्मी बढ़ाई गई
नूर बढ़ाने उसके चहेरे का घटाए चल पड़ी।
गुजरा जहा जहा वो करामात ही करता गया
शहेर में कोई फरिश्ता आने की गुफ़्तगू चल पड़ी।-
વિહળ થયીને વરસ્યા વાદળ વેદનાઓ નો વરસાદ થયો
છલકી ઉઠી ગાગર-નદીઓ ને તૃપ્તિ કેરો સાદ થયો
રુદીયે રુદન ના શૂર છેડાણા મોરલ મન થનગાટ થયો
તાર તાર થયા સૌ કોઈ હંસા મન ગભરાટ રહ્યો.-
मर कर भी मेरी रूह बस उसकी यादों में सोती रही
होकर तन्हा कब्र भी मेरी रात भर युही रोती रही।-
जाते जाते वो अपना ही नुकशान कर गया
बरबादी में हमारी खुद को ही बदनाम कर गया।-
क्यू हर रोज सपनों की दौड़ में ये जिंदगी हार जाती है
सफ़र में रहेता ये मन हर तरफ क्यू है भागता
कुछ खुशी के चंद पल पाके ये होठ क्यू मुस्कुराते है
छोटी बातों पे उदास हो ये आंखे क्यू भर आती है
खोया खोया फिरता है वो मंजिल से क्यू बिछड़ रहा
श्मशान तो वही है बस जिंदा ही कोई जल रहा
परिंदा वो बाज जैसी उड़ान भरना चाहता था
पंख तो कट चुके ये तेरे अलावा कौन जानता था
आवाज तक ना आई क्यू शीशा टूट टूट कर खो रहा
कही अंदर ही अंदर क्यू एक झरना फुट फुट कर रो रहा
तलास रही इन ऑंखोंको क्यू सारि उम्र उजालो को
ना चाहिए अब कोई जवाब ना जरूरत रही सवालो की।-
हमको तन्हा छोड़ कर उनके आंसुओ ने भी आंसू बहाये
हमे अपने हाल पे छोड़ो कोई जाके उनके दर्द मिटाये।-
A relationship without physical touch is like
A tree standings in a storm without roots.-
उन काली घनी वादियो में पर्वत गन गुना रहा है
हर मीठे सब्दो की गूंज से मुझे पास बुला रहा है
में परिंदा हु उन ऊंचे आसमानो का दीवाना
आज मगर जमीं पे मेरा दिल मुस्कुरा रहा है
इन ठंडी ठंडी हवाओं का कुछ असर हो रहा है
हर टहनि हर डाली पे छोटा सा सफर हो रहा है
उन ओंस की बूंदो को डूबता सूरज सोना बना रहा है
पेड़ से गिरता वो पानी मिट्टी की खुश्बू फैला रहा है
एक तरफ कोई भूखा शिकारी अफसोस मना रहा है
एक तरफ कोई जान बचाकर जशन मना रहा है
तुम देखो ये जंगल तुम्हे क्या दिखा रहा है
हर मोड़ पे एक खूबसूरत किस्सा सुना रहा है।-
मरहम लगाने के बहाने से वो घाव की गहराई जान गया
बगावत वो भी करेगा जरूर तन्हाई हमारी जो जान गया-