अनचाही जगह पर उपजे पौधे अपनी कीमत नहीं आंक पाते
ठीक उसी तरह हमारा अनुचित कार्य हमें अंधेरे की ओर ले जाता है-
Mehra Shab
(Prdpmehraz)
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कितना भी लिख दु अधूरा लगता है mehrashab755@gmail.com
मैं जैसा भी काबिल नाकाबिल हु लिख लेता ... read more
मैं जैसा भी काबिल नाकाबिल हु लिख लेता ... read more
Joined 3 December 2019
21 SEP 2023 AT 21:09
21 SEP 2023 AT 19:17
पहला कदम फिर दूसरा कदम
अबतक तय किया सफर
स्पेस सेंटर में ठहरे किसी एस्ट्रोनॉट की तरह रहा
अकेला-
21 SEP 2023 AT 18:20
किसको पता था
मेरी आंखे बंद है लेकिन अवस्था जागने की है
ये कैसा खेल है
सबकुछ मेरी इजाजत के खिलाफ होता है अपने आप घटित इस संसार का चक्र मुझे तब तक चलाता रहेगा जब तक मेरे किए गए कार्यों का भार मेरे जन्म के भार से अधिक ना हो जाएं-
20 SEP 2023 AT 21:00
बीते कल के पल जागते है जब उन पलों का किरदार छायाचित्र में दिखाई पड़ता है फिर दिल और दिमाग इंसान को उन्हीं सपनो में ले जाता है और कुछ क्षण के लिए भ्रमित शरीर सपनो के अधीन होकर दुखी हो जाता है
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19 SEP 2023 AT 21:26
कहां से आए हो
खुद को जानते भी हो
ये कब तक चलता रहेगा यूंही
अपनी जड़ों में जाओ।-
31 JAN 2023 AT 23:10
किसी बर्बाद
मुल्क में ठहरा पानी हो गयी है जिंदगी
मक्खियां ही मक्खियां ओर गंदगी-