Mehra Shab   (Prdpmehraz)
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Joined 3 December 2019


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21 SEP 2023 AT 21:09

अनचाही जगह पर उपजे पौधे अपनी कीमत नहीं आंक पाते
ठीक उसी तरह हमारा अनुचित कार्य हमें अंधेरे की ओर ले जाता है

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21 SEP 2023 AT 19:17

पहला कदम फिर दूसरा कदम
अबतक तय किया सफर
स्पेस सेंटर में ठहरे किसी एस्ट्रोनॉट की तरह रहा
अकेला

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21 SEP 2023 AT 18:20

किसको पता था
मेरी आंखे बंद है लेकिन अवस्था जागने की है
ये कैसा खेल है
सबकुछ मेरी इजाजत के खिलाफ होता है अपने आप घटित इस संसार का चक्र मुझे तब तक चलाता रहेगा जब तक मेरे किए गए कार्यों का भार मेरे जन्म के भार से अधिक ना हो जाएं

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20 SEP 2023 AT 21:00

बीते कल के पल जागते है जब उन पलों का किरदार छायाचित्र में दिखाई पड़ता है फिर दिल और दिमाग इंसान को उन्हीं सपनो में ले जाता है और कुछ क्षण के लिए भ्रमित शरीर सपनो के अधीन होकर दुखी हो जाता है

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20 SEP 2023 AT 20:39

मैं धरती के अंदर चला जाऊ
और बीज के अंदर बनते पौधे को गौर से देखू

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19 SEP 2023 AT 21:26

कहां से आए हो
खुद को जानते भी हो
ये कब तक चलता रहेगा यूंही
अपनी जड़ों में जाओ।

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19 SEP 2023 AT 21:18

उनकी गली उनका मकां
उनके हक में सारा जहां
मेरा क्या
मेरा क्या

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31 JAN 2023 AT 23:10

किसी बर्बाद
मुल्क में ठहरा पानी हो गयी है जिंदगी
मक्खियां ही मक्खियां ओर गंदगी

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16 SEP 2022 AT 22:18

इतनी तन्हा है जिंदगी हम लड़को की

खुद की मौजूदगी भी बयां नहीं होती

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28 MAY 2022 AT 22:19

तू हवा है मेरी

मेरी सांसे तुझसे है

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