वक्त की वक्त से फरियाद क्यों करें
जो चल बसा है लम्हा उसे याद क्यों करें ।
जख्म वो भर जाऐंगे वक्त के मरहम से
इन जख्मो का दर-बदर एलान क्यों करें ?-
Gujarati
TEACHER,
Community activist in NAANDI
FO... read more
भूल बैठे कदम मेरे उन गलियों की राहों को
जीन राहों पे हमारे कदमों के निशां बेशुमार थे ।-
घरों में बैठ कर औरों की वकालत करने वालो,
हजारों राह पर भटके मुसाफिर का पता पूछो
नुमाईश करते हो बडी ही शान से अपनी अक्लमंदी की
कभी उस अजीमुश्शान(कुदरत) की नाराजी की वजह ढूँढो
कहीं शहरों के कोनों में, कहीं वीरान रास्तों पे,
वो बीखरते हुए परिवारों की बेबसी की वजह ढूँढो
ये दुनिया तो फानी सफर हे, कल खत्म हो जाएगा,
तुम अपने बाद भी अपना नाम बाकी रखने की सदा ढूँढो
वो बेनियाझ, बेमतलब, बेहीसाब देने वाला हे,
तुम एकबार अपने रब को राजी रखनें की अदा ढूँढो
वो ले लेता है अपना काम, जरूरत पडने पर परिंदों से,
ऐ इन्सानों तुम अपने ही गिरेहबान में अपनी खता ढूँढो।
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आज फिर मेरे शहर की फिजाऐं थम गई
वक्त के कहर से
गरीब भूख से, तो अमीर डर से
हार जाता है,
कुदरत की लाठी चलने पर,
जमाना हार जाता हे ।
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जिस्मानी रिश्ते को मुहब्बत का नाम देना,
ये तो मुहब्बत की तोहीन है।
गुमशुदा है आजकल वो रूहानी जज्बात,
क्यूँ की, इस दौर-ए जहालत में हर कोइ
नंगे नाच का शौकीन है।-
तमाम कोशिशों के बावजूद, ना मुकम्मल हुआ मेरा वजूद
में खुदगर्जि के सहारे, खुद की तलाश में जो निकला था ।
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क्यूँ जगाई मुझमें ख्वाहिश, "ए खुदा" आसमां को छूने की?
मुझे उदना सीखाने वाले ही जब मेरे पंख के कातिल है ।-
अच्छा होता मेरी माँ मुझे कोख में मार देती
हैवानियत की आग मेरी इज्जत तो न लेती।
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ओनलाईन जिंदगी का भी एक सयाना अंदाज है यारो
जो हमे अपनो से दूर ओर गैरों के करीब ले जाता हे,
मृगजल सा खिंचाव हे ईसमे,
जो हकीकतों से परे होकर भ्रम को दावत देता है ।-
हालातों के हाथ बिकने वाले लोग कभी-कभी परवरिश को भूल जाते हैं,
वरना परवरिश ही एक एसी चीज है जो इन्सान को गलत कामों से रोक सके ।-