आ मेरे ईश्क़ मुझे लाल कर दे,
दुनिया के तसव्वुर सें बेख्याल कर दे,
कह रहा हैं ज़माना मुझे बे-हया,
उनकी इन लानतों से मुझे बेख़बर कर दे!!-
हाय ख़ुदा हैं ये तेरा कैसा सितम,
रूह में तो बसा दिया तूने उसकों मेरी,
फिर क्यो पास नहीं रहने दिया मेरा सनम!-
सूरज ने डाला डेरा,
आँखो में मुहब्बत का पहरा,
पहरे का दिल पर क़ाबू,
दिल पर उम्मीदों का सवेरा!!-
दौड़ता हैं ब दस्तूर
तेरा इश्क़ मेरी रगो में,
दिल में उतरकर करता हैं
मुक़म्मल मेरे जिस्म कों,
तेरा इश्क़ ही हैं जो आकर लबों पर
सुर्ख़ बनाता हैं इनकों!!-
ये कैसा मंज़र हैं…
ना सुध हैं ख़ुद की और ना किसी की खबर हैं
हर तरफ़ अंधेरा और सब जगह ख़ालीपन हैं,
मैंने तो सुना था दिलदार बस दिल लेते हैं,
मगर मेरे हमनवां…
आपके साथ मेरी रूह का भीं सफ़र हैं!!-
तेरे ज़िश्म की तपिश से,
मोम सा पिंघल जाता हूँ,
साथ तुम होते हो तो
हर गम भूल जाता हूँ!!-
ज़बान ए तीर का वार ऐसा ज़ख्म देता हैं,
सहने वाला जीना भी चाहें…
मगर सुबक सुबक कर दम तोड़ ही देता हैं!!-
अटक गया हूँ तुझमें ज़ालिम
वरना मैं भी ज़िंदा होता,
जी रहा हूँ उसी पल में मैं अब तक,
कर रहा हूँ ख़ुद से समझौता,
होना चाहूँ आज़ाद तेरी यादों से,
पर ख़ुद से अलग नहीं हों पाता,
कर देते क़त्ल मुझको तुम अपने हाथो से,
तो फिर तेरी यादो में यू मरना नहीं होता!!
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कई लोगों नें मांगी हैं मेरे तबाह होने की दुआ,
इक मैं हूँ की हलाक़ होने के लिये तैयार ही नहीं,
यें ईश्क़ का या किसी की दुआओ का असर हैं,
की मैं अभी भी पस्त होने को तैयार ही नहीं!!-
तुम आते हो तो...
मानो बहार चली आती हैं,
तुम जाते हो तो ऐसा लगता हैं
जैसे कायनात ही चली जाती हैं!
कुछ तो कहों...
कि मैं मुकम्मल कैसे हो जाऊँ,
क्योंकि तुम्हारी खुशबू आती हैं
तो बस मेरी जान चली जाती हैं!
रहने दीजिए ना...
अपने अहसासो का जखींरा मेरे पास,
ये तो घड़ियां हैं बस यूहीं निकल जाती हैं,
यकीन कीजिए मेरी बातो का,
आप आते हो तो...
मेरी दुनिया ही महक जाती हैं!!— % &-