मुसीबत के बादल कुछ यूं छटे हैं,
के रोशन जहां हो गया,
हाथ थामा उसने ऐसे,
रूह के साथ जिस्म भी तबाह हो गया।।
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Mehak Naqvi
(Mehak (Inayat))
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Writer by passion
Fitness freak
29/08
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Joined 13 June 2017
22 JUN 2023 AT 22:35
10 JUL 2021 AT 21:43
घर का हर शक्स मुझसे खफा है,
हर रोज़ कोई ना कोई जफा है,
इसमें ना मेरा कोई नफा है,
ज़िन्दगी इन्ही से तो बा- दस्तूर वफा है।-
27 JUN 2021 AT 17:53
मोहब्बत को मोहब्बत से मोहब्बत ना रही,
"महक" इस कलम को मोहब्बत लिखने की आरज़ू ना रही।
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19 MAY 2021 AT 21:04
उसका दीदार करते करते ज़िन्दगी गुज़ार लेंगे,
वो गर ना मिला, ता उमर इंतज़ार में गुज़ार लेंगे।-
28 APR 2021 AT 12:21
इस क़दर कीचड़ उछाला गया उसपर,
कि अब दल - दल ही उसका मकान हो गया,
उभरना चाहती थी वो हर ज़ख्म से,
मगर अब तो हर ज़ख्म नासूर हो गया।
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21 APR 2021 AT 20:56
एक वो था, एक मैं थी,
कभी मुलाक़ात नहीं हुई,
फिर भी ना जाने कैसी मोहब्बत थी!!-
16 APR 2021 AT 20:18
इशारों इशारों में वो बहुत कुछ कह गए,
उनकी एक नज़र में हम उनके होके रह गए!!-