सामाज का नाकाव
इस समाज की कुरीतियों ने, ये क्या नया ढोंग रचाया है।
जात-पात का भेद बुलाकर, अब इंसानी रंगों का खेल रचाया है।।
अनेकों रंगों को छोड़कर,क्यों लोगों ने गौरा रंग अपनाया है ?
शादी के बंधनों में ,सफेद रंग को अपनाया है।
इस काले समाज की कुरीतियों ने, क्यों काले रंग को ठुकराया है।
क्यों नहीं समझता ये समाज, अल्ला ने खून एक बनाया है।
सफेद रंग की चादर ओढ़ी मर जाने के बाद, क्यों उसी रंग को शादियों में अपनाया है ??
उस रंग को छोड़ क्यों किसी को नहीं अपनाते...
सुंदर रंग का क्यों समाज ने इतना प्रचार करवाया है ।।
खत्म नहीं हुई दहेज प्रथा अब भी,
क्यों लोभी लोगों ने इंसानियत को ठुकराया है।
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आज ये अल्फाज क्यों खामोश हो गए
यादें और जज़्बात क्यों गुमनाम हो गए
मन में बिचार नहीं लिखने को आज,
क्यों आज कलम और सिहायी भी खो गए।।-
हर वक्त इंतजार करना छोड़ना होगा
मंज़िल में रूकावट नहीं बनना होगा ।।
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तुम्हारी मोहब्बत मेरे लिए, शाद का खूबसूरत शहर था
पर क्या पता था, ये मोहब्बत ज़हर का नाम है....
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बिते वक्त के साथ, खामियां नज़र आने लगी
पहले क्या देखा जो में पसंद थी तुम्हारी
अंजाद बदल गया या दिल कहीं और लगने लगे
हमारी महोब्बत को छोड़ कितनों पर फिसलने लगे
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तुम क्या जानो, हाल हमारा
तुमसे मिलने को बेकार है दिल हमारा
कबूल कर लो ये साथ हमारा
जिंदगी भर के लिए थामों हाथ हमारा
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कटते जा रहे है ये लम्हें यूहीं
तेरे बारे में खुद से बातें करती हूँ
कट जाए पल जैसे भी हो
कभी खुशी और कभी गम को याद करती हूँ
पास होकर भी आलम क्यों है ये जिंदगी
दूर होकर मरने का गम तो होगा ही
तेरी महोब्बत के बिना कुछ नहीं
बिजली की तरह,गरजती है ये जिंदगी
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चहल-पहल के शहर आज मजबूर है
फिरते थे परिंदे कभी इतने,
आज भारत की गलियाँ भी सुनसान है
सरकार की समझदारी और लोगों का साथ है
हार जाएंगा करोना का कहर एक दिन
ये हमारा विशवास है ।।।
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एक महामारी ने, तबाही मचा दी
करोना है नाम महामारी का, जिसने दुनिया हिला दी।।
लाखों के लाखों घर तबाह हो गए
बैठे थे जो बिदेशी, आज घर लौट आये
चीन की बिमारी ने इतनी,आज दहशत मचा गई
इटली में जिंदगियों की दशा बिगाड़ गई
सलामत रहे डाक्टरों और जवानों की जिंदगी
देश की रक्षा में आज जान लगा गये ।।।
करोना का कहर छाया है ऐसा
बारिश की बूँदें भी दहशत में आ गई।।
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