रोज़ मौत को गले लगाते है,
महज़ एक इत्तेफाक मुझे रोज़,
जीने की उम्मीद दे जाता है ।
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अक्सर लड़की बियाह देने के बाद
लड़के वालों की जागीर बन जाती है
लड़की वालों का हक़ कुछ नहीं..बस,
हिस्से में कड़वा घूँट आता है-
मेरे ख़यालों की बात मत करना
ये बहुत ऊँचे है,
समय लगेगा थोड़ा उनको
ज़मीन तलक आने में।-
उलझे से हैं अब नये ख़यालों में
पुराने ख़यालों के लिए वक़्त कहाँ ,
ज़ाया लगता सोचना भी अब
ख़ुद के लिए अब वक़्त कहाँ ।-
रोशन रोशन ये जहां कर दूँ,
बिना इजाज़त कोई बात शुरू कर दूँ,
है कई हक़दार तुम्हारे,
एक हक़दार का किरदार मैं भी अदा कर दूँ ।-
मिटा कर अपने अस्तित्व को
ज़िंदा ख़ुद को दफ़्न किया
ज़मीर मेरा अब बचा नहीं
ख़ुद को कुछ यूँ ख़त्म किया
मैंने ख़ुद की लाश देखी है
ख़ुद की बोली लगाकर… अपना अस्तित्व बेच दिया
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हमारी शख्सियत का अंदाज़ा,
तुम ये जान के लगा लो,
हम कभी उनके नही होते,
जो हर किसी के हो जाए।-
पिता ने जब पहली बार
साइकिल के डंडे पर बैठाया
तो बताया था
कि हैंडल कैसे पकड़ना है
जिससे ना कुचले ब्रेक की चुटकी में उँगलियाँ
और पाँव को पहिये से दूर रखना..,
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