अरे दो वक्त का खाना कहां?
बस एक रोटी को ही तरस रहे है
लम्बे दूर रास्ते खत्म हो नही रहे और
चलते- चलते पैरो में छाले पड़ रहे हैं
और रास्तो पर ही मर रहे है।
क्योंकि वो गरीब है।-
Bura waqt hi toh hain,
Guzar hi jaega....
Lekin...
Jate-jate
Kuch NAKABPOSHO ke nakab
jarur utarte jaega!-
Jo patthar feke hain unhone hum par,
Chle usi se apne ghar ki neev bnate hain!
Jitne vaar kiye hai unhone hum par,
ab utna hi khud ko majbut bnate hain!
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Apna ghar chhod, dur sarhad ko apna basera bna liya...
Apni jaan ko hatheli par rakh, is desh ki hifazat ko hi apna dharma bna liya..
Ese sainiko ko shat Shat naman🙏-
वक्त बदल जाता हैं, इंसान बदल जाते हैं,
व्यक्तित्व बदल जाता हैं, चीजें बदल जाती हैं।
पर कुछ नहीं बदलता
तो वह हैं "यादें"
यादें,,
कुछ अच्छी ,तो कुछ बुरी,
कुछ खट्टी, तो कुछ मीठी।
ये यादें ही तो होती हैं
जो हमेशा के लिए हमारी जिंदगी की किताब के हर पन्ने पर एक पक्की स्याही से छप जाती हैं!
और जब भी हम इस किताब के हर पन्ने को पढ़ने की कोशिश करते हैं
तब हर पन्ने पर हमारी यादें हमारे सामने होती हैं।
उस बदले हुए वक्त और बदले हुए इंसान से जुड़ी यादें चाहे दुःख के आंसू देने वाली हो या खुशी के
और एक पल के लिए हम उस वक्त में चले जाते हैं और हर चीज़ ताज़ी सी लगने लगती हैं।
इस लिये इस परिवर्तनशील वक्त के साथ यही कोशिश करें कि हर व्यक्ति के साथ अच्छी यादें जोड़े
ताकि जब भी हम इस जिन्दगी की किताब में यादों के पन्नों को पलटाए तो हमारी आँखों में पछतावे के आंसू ना हो।
:~ मेघा-