बेवजह मुस्कुराने का, यूं तो दोस्त कई है हमारे, पर उन सबसे भी गम छिपाने का, वक्त ने ही सिखाया है कि किस तरह वह बदलता है, खैर, अब तों हर कोई बेगाना ही लगता है।
जरा बताओ तो तुम्हारे घर में क्या चल रहा है किसका चूल्हा बन्द है और किसका जल रहा है, अपनी तो कभी बताओगे नहीं, दूसरों के काम में अड़ंगे देने से कभी बाज आओगे नहीं,
अप्पन मिथिला के खूब छै नाम , सब ठाम इनका भेटाईं छै सम्मान, जनकपुर के राजकुमारी भेलखिंन, जनक जी के दुलारी जानकी भेलखिंन, सिया के ई जन्म-भूमि छैन, मैथिली स ही मिथीला के नाम छै।