Megha Dubey   (मेघा {𝐌.𝐃}... ✍️)
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Joined 2 March 2019


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13 NOV 2022 AT 0:42

ओ, जानेवाले
यूँ बिन कहे ना जा
ठहर सके तो
कुछ पल और ठहर जा
तेरे जाने की ख़बर से देख
किस कदर उदास है मन
रुक ज़रा..
बात तो हमारी सुनता जा !

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31 AUG 2022 AT 0:34

कहो कैसे आना हुआ ?
कुछ नहीं बस यूँ हीं..
कहो कैसे बातें करना हुआ ?
कुछ नहीं बस यूँ हीं..
क्या काम है क्या बात है
अब बता भी दो..
बेवजह यहाँ तुम भी नहीं
बेवजह यहाँ हम भी नहीं
यूँ हीं तो यहाँ कुछ भी नहीं !

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28 JUL 2022 AT 13:41

क्या ढूँढे है तू जग के मेले में
तेरे पास ही है हर प्रश्न के उत्तर
तेरे अंदर ही समाया है सबकुछ
देख, कस्तूरी ढूँढे है मृग दर-बदर
पर है वह उसी के भीतर !!

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24 JUN 2022 AT 0:01

उन्होंने हमारा दिल तोड़कर कहा कि__
तुम्हें पता है, उदास लोगों कि मुस्कुराहट
बहुत खूबसूरत होती है।

हमने कहा__ अच्छा ?? पर हमारी तो नहीं है।

उन्होंने फिर दिल तोड़ते हुए कहा कि__
तुम उदास भी तो नहीं हो...!


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5 JUN 2022 AT 0:12

वो अपने किरदार में रहना,
जो न्यायाधीश बन हरपल
औरों का किरदार नापते हैं !

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5 JUN 2022 AT 0:02

Waste of time..





Precious..

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25 MAY 2022 AT 1:04

सब ऐसा ही कहते हैं,
पर यकीन हो सके ऐसा
वो कुछ भी नहीं करते हैं,
यकीन दिलाने के सौ
प्रयास करते हैं,
फिर हज़ारों बार कसम खाने
से भी कहाँ डरते हैं !

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1 MAY 2022 AT 23:53

बोझ ढोते है हम जीने का
चलते जाते है चलते जाते हैं
यह कदम कहाँ रुकते हैं
जीने के ख़ातिर सहते है सब
सुख दुख आते-जाते हैं
यह कैसी मजबूरी है
जीने के लिए मरना भी
जरूरी है..!!

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1 MAY 2022 AT 23:44

बोझ ढोते है हम जीने का
चलते जाते है चलते जाते हैं
यह कदम कहाँ रुकते हैं
जीने के ख़ातिर सहते है सब
सुख दुख आते-जाते हैं
यह कैसी मजबूरी है
जीने के लिए मरना भी
जरूरी है..!!

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29 APR 2022 AT 0:40

स्त्री से पुरुष हो जाना,
क्रोध में गाली देना
या हाथ उठाना,
किसी की बराबरी
खुद से करना,
दुख में किसी को यूँ
छोड़कर जाना,
नहीं आता मुझे !

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