ओ, जानेवाले
यूँ बिन कहे ना जा
ठहर सके तो
कुछ पल और ठहर जा
तेरे जाने की ख़बर से देख
किस कदर उदास है मन
रुक ज़रा..
बात तो हमारी सुनता जा !
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❤️ #मैं_और_मेरे_जज़्बात
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कहो कैसे आना हुआ ?
कुछ नहीं बस यूँ हीं..
कहो कैसे बातें करना हुआ ?
कुछ नहीं बस यूँ हीं..
क्या काम है क्या बात है
अब बता भी दो..
बेवजह यहाँ तुम भी नहीं
बेवजह यहाँ हम भी नहीं
यूँ हीं तो यहाँ कुछ भी नहीं !
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क्या ढूँढे है तू जग के मेले में
तेरे पास ही है हर प्रश्न के उत्तर
तेरे अंदर ही समाया है सबकुछ
देख, कस्तूरी ढूँढे है मृग दर-बदर
पर है वह उसी के भीतर !!
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उन्होंने हमारा दिल तोड़कर कहा कि__
तुम्हें पता है, उदास लोगों कि मुस्कुराहट
बहुत खूबसूरत होती है।
हमने कहा__ अच्छा ?? पर हमारी तो नहीं है।
उन्होंने फिर दिल तोड़ते हुए कहा कि__
तुम उदास भी तो नहीं हो...!
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वो अपने किरदार में रहना,
जो न्यायाधीश बन हरपल
औरों का किरदार नापते हैं !
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सब ऐसा ही कहते हैं,
पर यकीन हो सके ऐसा
वो कुछ भी नहीं करते हैं,
यकीन दिलाने के सौ
प्रयास करते हैं,
फिर हज़ारों बार कसम खाने
से भी कहाँ डरते हैं !
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बोझ ढोते है हम जीने का
चलते जाते है चलते जाते हैं
यह कदम कहाँ रुकते हैं
जीने के ख़ातिर सहते है सब
सुख दुख आते-जाते हैं
यह कैसी मजबूरी है
जीने के लिए मरना भी
जरूरी है..!!
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बोझ ढोते है हम जीने का
चलते जाते है चलते जाते हैं
यह कदम कहाँ रुकते हैं
जीने के ख़ातिर सहते है सब
सुख दुख आते-जाते हैं
यह कैसी मजबूरी है
जीने के लिए मरना भी
जरूरी है..!!
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स्त्री से पुरुष हो जाना,
क्रोध में गाली देना
या हाथ उठाना,
किसी की बराबरी
खुद से करना,
दुख में किसी को यूँ
छोड़कर जाना,
नहीं आता मुझे !
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